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मेयो, मेडिकल एवं सुपर ने नहीं खरीदी सामग्री, 10 करोड़ लौटने की कगार पर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों के लिए सरकार द्वारा निधि उपलब्ध करवाए जाने के बावजूद कुछ विभागों में यह निधि खर्च ही नहीं की जाती है , फलस्वरुप विकास कार्यों के लिए आई निधि लौटाने की नौबत आन पड़ती जाती है। शहर के सरकारी अस्पतालों में भी इसी तरह का मामला सामने आ रहा है।
10 करोड़ से अधिक की निधि वापस लौटने की स्थिति में
चिकित्सा शिक्षा एवं शोध संचालनालय विभाग राज्य के सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल की दवा एवं उपकरण आदि खरीदी की जिम्मेदारी हाफकिन बॉयो-फार्मास्युटिकल्स कार्पोरेशन लिमिटेड को सौंप चुका है। इससे जिला नियोजन समिति (डीपीसी) से संतरानगरी के तीनों बड़े अस्पताल, मेयो, मेडिकल एवं सुपर के करीब साढ़े 10 करोड़ वापस जाने की स्थिति में आ गए हैं, क्याेंकि डीपीसी द्वारा जिस मद में रुपए दिए गए हैं उनकी खरीदी हाफकिन द्वारा नहीं की जा रही है, जिसका प्रमुख कारण खरीदी प्रक्रिया में खरीदी के लिए निर्माण होने वाली तकनीकी समस्या बताई जा रही है।
ठडे बस्ते में है प्रक्रिया
मेडिकल एजुकेशन ने हाफकिन को खरीदी की जिम्मेदारी इस प्रक्रिया को सेंट्रलाइज करने के लिए दी। इससे मेडिकल कॉलेजों में बार-बार खत्म होने वाली दवाएं एवं खरीदी प्रक्रिया में लगने वाला ज्यादा समय व पैसा बचाया जा सके। लेकिन इसी बीच डीपीसी से मिलने वाले रुपयों को खर्च करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया, क्योंकि तीनों अस्पतालों को अन्य-अन्य मदों में मिली साढ़े 10 करोड़ रुपए की निधि खर्च नहीं हो पा रही है। जबकि मरीजों की समस्याओं को ध्यान में रखकर पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने जिला नियोजन समिति 2017-18 वित्तिय वर्ष में मेडिकल को 4 करोड़, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को साढ़े 3 करोड़ एवं मेयो को 3 करोड़ रुपए उपकरण खरीदी के लिए दिए थे। लेकिन अधिकार न होने की वजह से खरीदी प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है, जिससे साढ़े 10 करोड़ रुपए वापस जाने की आशंका दिखाई पड़ रही है।
Created On :   9 March 2018 4:15 PM IST