असली किसान नालियों-सड़कों पर दूध नहीं बहाता : गोपाल भार्गव

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
असली किसान नालियों-सड़कों पर दूध नहीं बहाता : गोपाल भार्गव

डिजिटल डेस्क, भोपाल। राज्य विधानसभा में मंगलवार को किसान आंदोलन पर विपक्ष द्वारा लाए स्थगन प्रस्ताव पर चली बहस के दौरान पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि असली किसान कभी भी अपना दूध नाली और सड़कों पर नहीं फेंकता है और न ही सब्जियों को सड़कों पर कुचलता है। ये आंदोलनकारी भी दूध और सब्जियां बेबस एवं जरूरतमंद लोगों को दे सकते थे, लेकिन चूंकि ये आंदोलनकारी आपराधिक चरित्र के थे इसलिए उन्होंने ऐसा नहीं किया।

किसानों के शव पर राजनीति न करें

भार्गव ने कहा कि आत्महत्याओं के मामलों में किसानों का भावनात्मक शोषण होता है। आत्महत्या करने वाले किसी किसान का सुसाइड नोट नहीं मिलता और न ही मोबाइल से ली गई वीडियो क्लीपिंग, जिससे पता चल सके कि मरने का असल कारण क्या है। किसान सिर्फ कर्ज से ही त्रस्त होकर आत्महत्या नहीं करते बल्कि अन्य कई कारण भी होते हैं। सरकार को हरेक मौत पर दु:ख होता है। कांग्रेस के पास राजनीति करने के लिए बहुत से अन्य विषय हैं, परन्तु किसानों के शव पर राजनीति न करें। कांग्रेस को किसानों की आत्महत्या के आंकड़े अपनी राज्य सरकारों में भी देखने चाहिए।

कृषि उत्पादन में मप्र राज्य पंजाब से भी आगे

भार्गव ने वर्ष 2003 के समय का उल्लेख किेया कि उस समय कांग्रेस की सरकार के समय बिजली सुबह छह बजे से दस बजे तक चली जाती थी। वे विधायक के नाते भोपाल के फैमिली ब्लाक में रहते थे और उन्हें विधानसभा में बोलने के लिये अपने कागजात मोमबत्ती एवं लालटेन में तैयार करने पड़ते थे। भार्गव ने कहा कि आज कृषि उत्पादन में मप्र राज्य पंजाब से भी आगे है तथा उसकी विकास दर भी अधिक है। हमारी पार्टी की सरकार ने किसानों को 24 प्रतिशत के स्थान पर शून्य प्रतिशत पर कर्ज दिया तथा अब तो एक हजार मूल धन पर 900 रुपए वापस लिया जा रहा है।

ऑस्ट्रेलिया निर्यात हो रहा शरबती गेहूं

अब सरकार ने यह भी तय कर रखा है कि कर्ज के लिए गिरवी रखी किसान की भूमि को कर्ज की वसूली के लिए नीलाम नहीं किया जाएगा भले ही कर्ज की एक पाई भी वापस न मिले। भार्गव ने कहा कि केंद्र में यूपीए की सरकार के समय ऑस्ट्रेलिया से ऐसा गेंहू आयात किया गया था जिसे जानवर भी न खाएं। अब तो स्थिति यह है कि मप्र का अच्छी गुणवत्ता वाला शरबती गेंहू एवं बासमती चावल ऑस्ट्रेलिया निर्यात हो रहा है और वहां के लोग इसे खा रहे हैं।

अफीम तस्करों के कारण हुआ मंदसौर कांड

भार्गव ने कहा कि एमपी में यदि किसान परेशान हैं, तो किसानों का यह आंदोलन प्रदेश के अन्य भागों में क्यों नहीं हुआ। यह मंदसौर जिले में ही क्यों केन्द्रित था और वहीं क्यों हिंसा, आगजनी एवं तोड़फोड़ की घटनाएं हुई। कहा कि पहले मंदसौर को देश में अफीम का केन्द्र समझा जाता था, लेकिन डोडा चूरा एवं अफीम पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद सरकार इसके अवैध व्यापार पर सख्ती से कार्रवाई कर रही है, जिससे चलते तस्करों ने मंदसौर कांड किया।

Created On :   18 July 2017 7:00 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story