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गोरेवाड़ा : टूरीजम हब बनाने की रफ्तार पर ब्रेक, अफ्रीकन सफारी का सपना टूटा

डिजिटल डेस्क, नागपुर । गोरेवाड़ा को टूरीजम हब बनाने की रफ्तार पर अब ब्रेक लग गया है। इंडियन सफारी के बाद बनने वाली अफ्रीकन सफारी शहवासियों के लिए फिर सपने की तरह हो गई है। एफडीसीएम ने जिस निजी कंपनी से करार किया था, उसने छोड़ दिया है। ऐसे में नए कन्सल्टंट के लिए विभाग को फिर से टेंडर प्रक्रिया करनी पड़ेगी। अफ्रीकन सफारी का साकार होने के लिए लंबा समय लगने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। गोरेवाड़ा परिसर में 1914 हेक्टेयर जमीन है, जिसे टूरीजम हब बनाने की घोषणा वर्ष 2005 में की गई थी। 450 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में 200 करोड़ राज्य सरकार और बाकी राशि पीपीपी तर्ज पर लगानी थी। यहां इंडियन सफारी, इंडियन वॉकिंग ट्रेल के साथ अफ्रीकन सफारी बनाने का लक्ष्य था। पहले चरण में इंडियन सफारी का काम कन्सल्टंट अशपाक की मदद से किया गया।
इंडियन सफारी को साकार कर जनवरी महीने में इसका उद्घाटन भी किया गया, लेकिन दूसरे चरण में अफ्रीकन सफारी का निर्माण विभाग को विदेशी कंपनी के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बरनल हेरीजन के माध्यम से करना था। अफ्रीकन सफारी कैसे बनेगी, इसकी लागत क्या होगी, किस तरह यहां लोगों के लिए आकर्षक चीजें बनाई जाएंगी आदि के बारे में प्राथमिक तौर पर प्रारूप तैयार किया गया था। विभाग ने इंडियन सफारी के शुरू होने के बाद सालभर के भीतर अफ्रीकन सफारी शुरू करने का सपना नागपुरवासियों को दिखाया था, लेकिन बीच में ही विदेशी कंपनी ने साथ छोड़ दिया। जिस अंतरराष्ट्रीय सलाहकार के साथ मिलकर अफ्रीकन सफारी बनाई जानी थी, वह भी एफडीसीएम के हाथ से निकल गया। अब फिर जीरो से अफ्रीकन सफारी का काम किया जाएगा। हालांकि विभाग संबंधित सलाहकार से करार करने की सोच रही है। ऐसा नहीं होने पर पुन: टेंडर निकाले जाएंगे। फिर नए कन्सल्टंट के साथ मिलकर अफ्रीकन सफारी बनाया जाएगा, लेकिन इस प्रक्रिया में लंबा वक्त लगेगा।
इंडियन सफारी में वॉकिंग ट्रेल होगी शुरू : इंडियन सफारी अंतर्गत वॉकिंग ट्रेल का काम लगभग अंतिम चरण में पहुंच गया है। इसे जल्द ही शुरू किया जाएगा। इसमें 11 वन्यजीव होंगे, जिसे जू की तरह पिंजरे में रखा जाएगा। इसमें बाघ, तेंदुए से लेकर विभिन्न प्रजाति के पक्षी भी होंगे।
अफ्रीकन सफारी का प्रस्ताव इस वर्ष भेजेंगे
हमारी ओर से अफ्रीकन सफारी का प्रस्ताव इस वर्ष भेजा जाएगा। पुराने कन्सल्टंट से करार संभव होने पर बनाए गए प्रारूप के आधार पर काम होगा, वरना दूसरे कन्सल्टंट के माध्यम से नया प्रारूप बनाने के बाद काम किया जाएगा। -प्रमोद पंचभाई, प्रबंधक, गोरेवाड़ा नागपुर
Created On :   30 July 2021 2:16 PM IST