3 दशक बीत जाने के बाद भी गोसीखुर्द प्रोजेक्ट अधूरा, अभी भी जारी है पुनर्वसन का काम

Gosikhurd Project incomplete after 3 decades have passed in nagpur
3 दशक बीत जाने के बाद भी गोसीखुर्द प्रोजेक्ट अधूरा, अभी भी जारी है पुनर्वसन का काम
3 दशक बीत जाने के बाद भी गोसीखुर्द प्रोजेक्ट अधूरा, अभी भी जारी है पुनर्वसन का काम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गोसीखुर्द राष्ट्रीय प्रोजेक्ट का काम 3 दशक बीत जाने के बाद भी पूर्ण नहीं हो सका है। भूसंपादन के अधिकांश मामलों का निपटारा हो गया, लेकिन पुनर्वसन से संबंधित काम अभी भी जारी है। प्रोजेक्ट के लिए जमीन सबसे अहम है आैर जमीन अधिग्रहण के लिए जो विभाग काम करता है, वहां फुलटाइम अधिकारी उपलब्ध नहीं हो पाता। 

तीन दशक पूर्व रखी गई थी आधारशिला
गोसीखुर्द राष्ट्रीय प्रोजेक्ट का काम नागपुर, भंडारा व  चंद्रपुर जिले में फैला है। प्रोजेक्ट का सबसे ज्यादा हिस्सा भंडारा जिले में शामिल है। तीन दशक पूर्व प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी गई थी। प्रोजेक्ट के लिए सबसे बड़ी चुनौती जमीन का अधिग्रहण व विस्थापित लोगों का पुनर्वसन होती है। जमीन अधिग्रहण का 95 फीसदी से ज्यादा काम पूरा हो चुका है। जो चंद मामले बचे हैं, उस पर विवाद चल रहे हैं। नागपुर जिले में उपजिलाधीश स्तर के 3 अधिकारी भूसंपादन के काम में लगाए गए हैं। इन जगहों पर फुलटाइम अधिकारी नहीं मिल पाते। जिन मामलों पर विवाद चल रहे हैं, उनका प्रशासनिक कामकाज इन विभागों को देखना पड़ता है। जमीन मालिकों से चर्चा करने, सुनवाई लेने, अवार्ड देने का काम इसी विभाग को करना पड़ता है। 

नहीं मिले फुलटाइम अधिकारी
नागपुर कलेक्ट्रेट में विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल के माध्यम से गोसीखुर्द का काम देखा जाता है। उपजिलाधीश रवींद्र कुंभारे, अशोक कुमरे व अविनाश कातडे ये काम देखते हैं। दिक्कत यह है कि फुलटाइम अधिकारी यहां कम ही मिले हैं। विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल भूसंपादन क्र. 3 में अभी तक फुलटाइम अधिकारी नहीं था। तहसीलदार रवींद्र माने यहां का अतिरिक्त चार्ज देख रहे थे। उनके तबादले के बाद  तहसीलदार प्रियदर्शनी बोरकर यहां का अतिरिक्त चार्ज देख रही थी। हाल ही में कुुंभारे के रूप में यहां फुलटाइम अधिकारी मिला। कुंभारे ज्वाइंट होते ही छुट्टी पर चले गए। विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल भूसंपादन क्र. 1 का अतिरिक्त चार्ज तहसीलदार अशोक कुमरे को दिया गया है। राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के लिए जमीन लेने, जमीन मालिकों की सुनवाई लेने, विवादाे का निपटारा करने, जमीन मालिकों को अवार्ड देने की जिम्मेदारी जिन विभागों पर है उनका यह हाल किसी से छिपा नहीं है। 

नहीं आती दिक्कत
विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल (भूसंपादन क्र. 3) का अतिरिक्त चार्ज देख रहे अशोक कुमरे का कहना है कि जमीन अधिग्रहण के 95 फीसदी से ज्यादा मामले हल हो चुके हैं। जो मामले बचे हैं, वह विवादों में हैं। इन मामलों का संबंध भी विभाग से आता है। बहुत कम मामले बचे होने से दिक्कत नहीं आती। विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल (भूसंपादन क्र. 1) के उपजिलाधीश रवींद्र कुंभारे ने कहा कि ज्वाइन होने के बाद से छुट्टी पर चल रहा हूं। अगले सप्ताह से ड्यूटी ज्वाइन करूंगा। अभी ज्यादा बोलना ठीक नहीं है। 

Created On :   20 Sept 2018 3:42 PM IST

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