प्रदेश की नर्सरियों में आम, अमरुद, नींबू,  चीकू, बेर व पपीता के पौधे मंहगे हुये

Government and private nurseries of the state will increase the rates
प्रदेश की नर्सरियों में आम, अमरुद, नींबू,  चीकू, बेर व पपीता के पौधे मंहगे हुये
प्रदेश की नर्सरियों में आम, अमरुद, नींबू,  चीकू, बेर व पपीता के पौधे मंहगे हुये

डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश की शासकीय एवं निजी नर्सरियों में अब आम, अमरुद, नींबू, चीकू, बेर व पपीता के पौधे मंहगी दरों पर मिलेंगे। राज्य सरकार ने दो साल बाद इनकी दरें बढ़ा दी हैं ज्ञातव्य है कि प्रदेश में नर्सरियों को विनियमित करने के लिये राज्य सरकार ने वर्ष 2010 में मप्र फल पौध रोपणी विनियमन अधिनियम प्रभावशील किया था और इसके तहत वर्ष 2011 में नियम जारी किये थे। इन नियमों के तहत नर्सरियों को राज्य के उद्यानिकी विभाग से लायसेंस लेना होता है और सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर फल पौध का विक्रय करना होता है। पिछली बार सरकार ने 1 जून,2016 को इन नर्सरियों से विक्रय होने वाले 28 प्रकार के फल पौधों की दरें तय की थीं और अब दो साल बाद तीन और फल पौध को शामिल कर कुल 31 फल पौध की नई दरें तय कर दी हैं। प्रदेश में कुल 353 नर्सरियां हैं जिसमें शासकीय नर्सरियां 307 तथा निजी नर्सरियां 46 हैं।

नर्सरियों से मिलने वाले फल पौध की सूची में इस बार तीन और फल पौध शामिल कर उनकी दरें तय की गई हैं। इनमें अमरुद टिश्यूकल्चर 48, नींबू टिश्यूकल्चर 48 तथा अनार ग्राफ्टेड 30 रुपये प्रति नग दर पर विक्रय होगा। इसी प्रकार, अब आम कलमी की सभी किस्में 50 के स्थान पर 52, अमरुद गूटी 30 के स्थान पर 34, नींबू गूटी 25 के स्थान पर 48, चीकू ग्राफ्टेड 40 के स्थान पर 50, बेर बडेड 25 के स्थान पर 33 तथा पपीता संकर किस्में बीजू 15 के स्थान पर 20 रुपये प्रति नग पर विक्रय होंगी। बाकी फल पौध की दरें वही रखी गई हैं जो वर्ष 2016 में थीं।

इनका कहना है
हमने कतिपय फल पौध की दरें रेट कान्ट्रेक्ट आफर के आधार पर तय की हैं। नमामि देवी नर्मदे अभियान में नर्मदा किनारे फल पौध उतनी संख्या में प्रदेश की नर्सरियों में उपलब्ध नहीं थे जितनी जरुरत थी और इसके लिये प्रदेश के बाहर से फल पौध क्रय करने के आफर बुलवाये गये थे व खरीदी की गई थी। इसी आफर के आधार पर कुछ फल पौध की नई दरें तय की गई हैं। उद्यानिकी विभाग में अमला कम है जिससे नर्सरियों और प्रक्षेत्रों को बढ़ावा देकर फल पौध का अपेक्षित मात्रा में उत्पादन नहीं हो पाता है। - सत्यानंद, आयुक्त उद्यानिकी मप्र

Created On :   3 Oct 2018 2:40 PM IST

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