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विकास प्रारुप के खिलाफ अवैध निर्माण को नियमित नहीं कर सकती सरकार : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में साफ किया है कि राज्य सरकार ऐसे अवैध निर्माण को वैध नहीं कर सकती है, जो विकास प्रारुप (डीपी) व विकास नियंत्रण नियमावली के प्रावधानों के विपरीत है। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि सरकार की ओर से अवैध निर्माण को वैध करने के संबंध में लिए गए निर्णय के तहत नई मुंबई के दिघा में स्थिति किसी भी अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं मिलेगा। स्थानीय निकाय वहां के अवैध निर्माण को ढहाने को लेकर शुरु की गई अपनी कार्रवाई को जारी रखे।
अदालत का निर्देश, हर तीन माह में दें कार्रवाई रिपोर्ट
सरकार ने महाराष्ट्र रिजनल टाउन प्लानिंग एक्ट (एमआरटीपी) 52 ए में बदलाव करके अवैध निर्माण को वैध करने का अधिकार स्थानीय निकायों को दिया था। सरकार के इस निर्णय के खिलाफ पेशे से वकील दत्ता माने व अन्य लोगों ने कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर की थी। जस्टिस अभय अोक व जस्टिस एके मेनन की बेंच ने शुक्रवार को दिए गए अपने फैसले में सरकार के निर्णय को एक तरह से प्रभावहीन कर दिया है। बेंच ने साफ किया कि यदि कोई अवैध निर्माण डीपी व डीसीआर के विपरीत है तो सरकार एमआरटीपी कानून की धारा 52ए के तहत उसे वैध नहीं कर सकती है।
बेंच ने राज्य सरकार को कहा है कि वह सभी स्थानीय निकायों को निर्देश जारी करें कि वे अपने इलाकों में अवैध निर्माण को लेकर सर्वेक्षण कर एक सूची तैयार करे और उसके खिलाफ कार्रवाई करें। बेंच ने सरकार को हर तीन महीने के अंतराल पर अवैध निर्णाण के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
Created On :   2 Nov 2018 8:29 PM IST