3600 करोड़ की लागत से बन रही दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति, सरकार कर रही टिकट लेने पर विचार

Government considering charging to see the statue of Chhatrapati Shivaji
3600 करोड़ की लागत से बन रही दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति, सरकार कर रही टिकट लेने पर विचार
3600 करोड़ की लागत से बन रही दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति, सरकार कर रही टिकट लेने पर विचार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वह अरब सागर में प्रस्तावित छत्रपति शिवाजी महराज की प्रतिमा को देखने के लिए आने वालों से शुल्क लेने पर विचार कर रही है। शिवाजी महाराज के स्मारक के निर्माण में लगने वाली 36 सौ करोड़ रुपए की लागत की वसूली के लिए सरकार यह कदम उठाने पर विचार कर रही है। गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता वीए थोरात ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने अब तक शुल्क वसूली के विषय में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। स्मारक के निर्माण के खिलाफ हाईकोर्ट में कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। याचिकाओं में राज्य में सूखे जैसी स्थिति में इस प्रोजेक्ट पर 3600 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना को अतार्किक व गैर जरुरी बताया गया है। याचिकाओं में कहा गया है कि सरकार को स्मारक के निर्माण की बजाय दूसरे मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए जो बुनियादि सुविधाओं से जुड़े है। याचिका में स्मारक के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग की गई है।

मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने इन याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता थोरात ने कहा कि स्मारक के निर्माण को लेकर सरकार पर्यावरण व सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार कर रही है। प्रोजेक्ट को लेकर सरकार के पास आपदा प्रबंधन सहित दूसरी सभी योजनाएं मौजूद है। प्रोजेक्ट को लेकर लगभग सभी मंजूरिया मिल चूकी है। 15 जून को कोस्टल रेग्युलेशन जोन ने छत्रपति शिवाजी महराज की प्रतिमा की उंचाई 192 मीटर से बढाकर 210 मीटर करने की इजाजत दी है। एल एंड टी कंपनी के साथ स्मारक के निर्माण के लिए सरकार ने अनुबंध किया है। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट से कोई इंसान प्रभावित नहीं होगा इसलिए हमने प्रोजेक्ट को लेकर जनसुनवाई नहीं ली है।

इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मिहीर देसाई ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से 16 हजार मछुआरे प्रभावित होगे। इस बीच खंडपीठ ने मामले को लेकर हलफनामा न दायर करने के लिए केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि आखिर सरकार ने 7 महीने बाद भी क्यों अपना हलफनामा नहीं दायर किया है। आखिर सरकार इस मामले को गंभीरता से क्यों नहीं ले रही है। अदालत में खंडपीठ ने केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी को भी तलब किया। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनके पास स्टाफ की काफी कमी है। खंडपीठ ने कहा कि हम शुक्रवार को इस मामले में निर्देश जारी करेंगे। 

Created On :   2 Nov 2018 12:57 AM IST

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