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सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल का व्यापक असर, कैबिनेट में भिड़े रावते और तावडे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सातवें वेतन आयोग को लागू करने की मांग को लेकर प्रदेश सरकार के सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल का व्यापक असर राज्य भर के क्षेत्रीय कार्यालयों में देखने को मिला। मंगलवार को राज्य सरकारी कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन और उससे जुड़े विभिन्न संगठनों के हड़ताल का पहला दिन था। इस हड़ताल के कारण राज्य के सरकारी कार्यालयों में केवल 37 प्रतिशत कर्मचारियों की मौजूदगी रही। जबकि मंत्रालय में लगभग 70 प्रतिशत के अधिक कर्मचारी उपस्थित थे। हालांकि सुबह के समय मंत्रालय में बहुत कम कर्मचारी नजर आ रहे थे।
वहीं मुंबई के सरकारी अस्पतालों के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों और परिचारिकाओं के हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य सेवाओं पर असर हुआ। प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल का ज्यादा असर नहीं पड़ा है। सरकार के अनुसार बड़े सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों के जांच और इलाज का काम सुचारू रूप से चला।
सरकार ने कहा कि कर्मचारियों की हड़ताल गैर कानूनी है। इसलिए हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। वहीं राज्य सरकारी कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन के अध्यक्ष विश्वास काटकर ने दावा किया कि पहले दिन की हड़ताल शत प्रतिशत सफल रही। काटकर ने कहा कि हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों से सरकार ने अभी तक कोई चर्चा नहीं की है। हम लोग बुधवार को भी हड़ताल शुरू रखेंगे। प्रदेश के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि सरकार ने सातवें वेतन आयोग का लाभ जनवरी 2019 से देने की घोषणा की है। इसके बावजूद हड़ताल करना उचित नहीं है।
कैबिनेट में भिड़ गए रावते और तावडे
कर्मचारियों की हड़ताल का असर राज्य मंत्रिमंडल में भी देखने को मिला। सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश के परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने कहा कि हड़ताल पर जाने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अत्यावश्यक सेवा कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। इस पर तावडे ने भड़कते हुए कहा कि हड़ताल करना कर्मचारियों का अधिकार है। वे लोग अपने अधिकार के तहत हड़ताल कर रहे हैं।
Created On :   7 Aug 2018 11:51 PM IST