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सरकार ने मानसिक अस्वस्थ लोगों के लिए बनाए हैं पुनर्वास केंद्र?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या उसने मानसिक रुप से बीमार लोगों के पुनर्वास के लिए केंद्र बनाए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य व सामाजिक न्याय विभाग से इस बारे में जवाब मांगा है। हाईकोर्ट में मानिसक रुप से बीमार एक बुजुर्ग की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। न्यायमूर्ति उज्जल भूयान व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि याचिकाकर्ता कई बीमारियों से पीड़ित हैं। उनका मेंटल अस्पताल में इलाज पूरा हो गया है। उन्हें अब अस्पताल में रखने की जरुरत नहीं है। चूंकि अब उनके पास रहने के लिए कोई व्यवस्थित ठिकाना नहीं है। इसलिए वे चाहते है कि उन्हें मेंटेनेंस आफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 के प्रावधानों के तहत सरकार द्वारा स्थापित किए गए उपयुक्त पुनर्वास केंद्र अथवा वृध्दाश्रम में भेज दिया जाए।
सुनवाई के दौरान विधि सेवा की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को अब सिर्फ मानसिक रखरखाव की जरुरत है। जो की पुनर्वास केंद्र में हो सकता है। क्योंकि अब मेंटल अस्पताल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि याचिकाकर्ता का उपचार पूरा हो गया है। इसलिए राज्य सरकार से पूछा जाना चाहिए की क्या उसने मानसिक रुप से बीमार लोगों के रखरखाव के लिए पुनर्वास केंद्र अथवा घर बनाए है। जिससे ऐसे लोगों ठीक होकर फिर से अपना आत्मविश्वास हासिल कर सके। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने सरकारी वकील एबी कदम को कहा कि वे अगली सुनवाई के दौरान हमें यह बताए कि क्या सरकार ने मानसिक रुप बीमार लोगों के पुनर्वास के लिए कोई केंद्र बनाए है। खंडपीठ ने विधि सेवा प्राधिकरण के वकील को भी यह पता लगाने को कहा है कि क्या राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण ने ऐसे लोगों (मानसिक रुप से बीमार) के लिए कोई योजना बनाई है। खंडपीठ ने अब याचिका पर सुनवाई 22 जुलाई 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   10 July 2021 5:06 PM IST