एक्स एमएलए उठा रहे पेंशन, शिक्षक-कर्मचारियों को सिर्फ टेंशन, हर साल सरकार खर्च कर रही 4 करोड़ 25 लाख

Government is spending money on the former legislators every year
एक्स एमएलए उठा रहे पेंशन, शिक्षक-कर्मचारियों को सिर्फ टेंशन, हर साल सरकार खर्च कर रही 4 करोड़ 25 लाख
एक्स एमएलए उठा रहे पेंशन, शिक्षक-कर्मचारियों को सिर्फ टेंशन, हर साल सरकार खर्च कर रही 4 करोड़ 25 लाख

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आम और खास आदमी में कितना फर्क है, यह दो आसान उदाहरणों से समझा जा सकता है। सरकारी नौकरी के लिए समर्पित शिक्षक-कर्मचारियों को 2005 से राज्य सरकार ने पेंशन बंद कर दी। यानी वे पूरा जीवन भी सरकार के प्रति समर्पित भाव से काम करें तो भी उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी। जबकि एक बार नेता(विधायक) बनते ही जिंदगी भर की पेंशन पक्की हो जाती है, जबकि शिक्षक को राष्ट्रनिर्माता माना जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि केवल नागपुर जिले में पूर्व 65 विधायकों की पेंशन पर हर साल 4 करोड़ 25 लाख, 28 हजार खर्च किए जाते हैं, जबकि अधिकांश विधायक पहले से ही समृद्ध हैं। अधिकांश के निजी व्यवसाय चलते हैं। दूसरी तरफ शिक्षक- कर्मचारी वर्षों से अपनी सामान्य पेंशन के लिए आंदोलन के जरिए जमीन-आसमान एक कर रहे हैं। खुद शिक्षक रहे विधानपरिषद सदस्य नागो गाणार ने सरकार को सदन में चेतावनी दी थी कि जब तक शिक्षक-कर्मचारियों को पेंशन शुरू नहीं की जाती, वे पेंशन पर दावा नहीं करेंगे। दूसरी तरफ सदन के सदस्य अर्थात विधायकों के मानधन सहित पेंशन में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। 

साफ भेदभाव
जहां 1.70 लाख रुपए तक का मानधन मिलता है, वहीं इनके रिटायर होने पर 50 हजार रुपए की पेंशन पक्की है। कोई विधायक अपना जितना कार्यकाल पूरा करेगा, उसमें 10 हजार रुपए अतिरिक्त जुड़ते जाएंगे। ऐसे में एक बार विधायक बनकर जनता की 5 साल सेवा करने वाला विधायक जीवन भर के लिए प्रति माह 50 हजार रुपए हकदार बन गया है। वहीं सरकारी कर्तव्य के प्रति जीवन समर्पित करने वाला वर्ग-1 और वर्ग-4 का अधिकारी क्रमश: न्यूनतम 45 हजार और न्यूनतम 18 हजार रुपए पेंशन पा रहा है। सरकार के इस रुख से सेवक और जनसेवक के बीच बड़ी खाई निर्माण हो गई है। साफ भेदभाव झलक रहा है। 

2005 के बाद से शिक्षक-कर्मचारियों को पेंशन बंद
राज्य सरकार ने 31 अक्टूबर 2005 को शासन निर्णय जारी कर शिक्षक-कर्मचारियों को पेंशन बंद कर दी है। 31 अक्टूबर 2005 के बाद सरकार सेवा में शामिल होने वाले शिक्षक-कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिलेगी। उनके लिए नई परिभाषित अंशदायी सेवानिवृत्ति योजना लाई गई थी। योजना अंतर्गत कर्मचारियों का जितना पैसा जीसीपीएस में कटेगा, उतना पैसा सरकार जमा करेगी। इसके लिए भी एक सीलिंग लगाई गई है। यह पैसा सरकार शेयर मार्केट में लगाती थी। विरोध होने पर सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीसी) शुरू की है। एनपीसी में सरकार शिक्षक व कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एकमुश्त पैसा देती है। इसमें पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है। 

गिरीश गांधी ने किया था पेंशन लेने से मना
पूर्व विधायक गिरीश गांधी ही एकमात्र ऐसे सदस्य हैं, जिन्होंने अपनी पेंशन सरकार को समर्पित की है। उन्होंने पेंशन लेने से इनकार कर दिया था। हालांकि वे काफी कम समय के लिए विधानपरिषद सदस्य रहे थे। विधानपरिषद सदस्य जोगेंद्र कवाड़े ने खैरलांजी प्रकरण को लेकर अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया था। इसके बाद रिक्त हुई सीट के लिए गिरीश गांधी को एनसीपी ने अपने कोटे से भेजा था। फिलहाल शिक्षक विधायक नागो गाणार ने पेंशन का विरोध किया है। उनका कहना है कि जब तक शिक्षक-कर्मचारियों को पेंशन लागू नहीं होती है, वे अपनी पेंशन पर दावा नहीं करेंगे। 

जिले में इन्हें मिल रहा पेंशन का लाभ
नागपुर जिले में मौजूदा स्थिति में 65 पूर्व विधायक व उनके परिवार को पेंशन का लाभ रहा है। कोई 50 हजार तो कोई 80 से 90 हजार तक का पेंशन उठा रहा है। इसके अलावा 12 एमएलए और 4 एमएलसी को प्रति 1.70 लाख रुपए तक मानधन मिल रहा है। कार्यकाल खत्म होने के बाद ये भी पेंशन के हकदार होंगे। सरकार समय-समय पर इनके मानधन और पेंशन में लगातार वृद्धि करती जा रही है। मुंबई हाईकोर्ट में सरकार के निर्णय को चुनौती भी दी गई है। फिलहाल चुनावी मौसम होने से यह मुद्दा आम जनता में चर्चा का विषय बना हुआ है।

सर्वाधिक पेंशन लेने वाले पूर्व विधायक 
डॉ. सतीश चतुर्वेदी    -    90 हजार रुपए
अनिल देशमुख    -    80 हजार रुपए 
रणजीत देशमुख    -    72 हजार रुपए 
डॉ. नितीन राऊत    -    70 हजार रुपए
एड. आशीष जैस्वाल    -    70 हजार रुपए
डॉ. अनीस अहमद    -    70 हजार रुपए
श्रावण पराते    -    70 हजार रुपए
दत्ता मेघे    -    68 हजार रुपए 

पेंशन सबको मिले, अन्यथा किसी को नहीं
देश में कुली, किसान, मजदूर सदियों से काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पेंशन नहीं मिलती है। कुछ लोगों को पेंशन मिलती है। क्या सिर्फ नेताओं की हड्डी कमजोर होती है, मजदूर-किसानों की नहीं। अगर पेंशन देना है तो देश के हर आदमी को दी जाए। अन्यथा किसी को नहीं।
-गिरीश गांधी, पूर्व विधायक

सबके अलग-अलग विचार हैं
विधायकों को मिलने वाली पेंशन को लेकर सबके अलग-अलग विचार हैं। कोई कहता है कि इन्हें पेंशन की क्या जरूरत है। एक वर्ग यह भी मानता है कि यह सार्वजनिक जीवन में है। गरीबों की जनसेवा करने और भ्रष्टाचार से बचने के लिए इन्हें पेंशन मिलनी चाहिए, ताकि वे किसी अन्य मार्ग पर न जाएं। इस हिसाब से सरकार ने यह प्रावधान किया है।
-सतीश चतुर्वेदी, पूर्व विधायक

Created On :   19 March 2019 11:21 AM IST

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