सरकारी कर्मचारी के दो से ज्यादा बच्चे होने पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं

Government servant having more than two children is not eligible for compassionate appointment
सरकारी कर्मचारी के दो से ज्यादा बच्चे होने पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं
हाईकोर्ट ने कहा सरकारी कर्मचारी के दो से ज्यादा बच्चे होने पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में साफ किया है कि सरकारी कर्मचारी के दो से ज्यादा बच्चे होने पर उसकी संतान अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं हो सकती है।भले ही कर्मचारी ने अपने तीसरे बच्चे को दूसरे को गोद के लिए ही क्यों न दे दिया हो। बच्चे को गोद देना दो से अधिक बच्चे न होने के नियम से बचने का सहारा नहीं हो सकता है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने यह बात कहते हुए भाग्यश्री चोपड़े की अनुकंपा नियुक्ति की मांग से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया है। इससे पहले महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलोपमेन्ट कॉर्पोरेशन (एमआईडीसी) ने चोपड़े की अनुकंपा नियुक्ति की मांग पर इसलिए विचार करने से मना कर दिया था। क्योंकि उसके पिता के दो से अधिक बच्चे हैं। 

चोपड़े के पिता एमआईडीसी मे कार्यरत थे और 2014 में उनकी नौकरी के दौरान मौत हो गई थी। उन्हें पहले एक बेटी पैदा हुई थी और फिर दो जुड़वा बेटियां हुई। नियमानुसार यदि पहली संतान के बाद दोबारा जुडवा संतान होती है तो उसे एक ही संतान माना जाएगा।दो जुड़वा बेटियों के बाद याचिकाकर्ता(चोपड़े) के पिता को एक बेटा भी पैदा हुआ। इस बीच याचिकाकर्ता के पिता का निधन हो गया। इसके बाद पहले याचिकाकर्ता की मां ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया।चूंकि याचिकाकर्ता की मां की उम्र अधिक थी। इसलिए एमआईडीसी ने मां के आवेदन पर विचार नहीं किया।  

जब मां को नौकरी नहीं मिली तो फिर चोपड़े ने एमआईडीसी के पास अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। आवेदन में चोपड़े ने इसका खुलासा नहीं किया कि उसका एक छोटा भाई भी है। लेकिन जब एमआईडीसी के अधिकारियों ने जांच की तो पता चला कि याचिकाकर्ता का एक भाई भी है। इस तरह याचिकाकर्ता के पिता के दो से अधिक बच्चे हैं। लिहाजा एमआईडीसी ने चोपड़े के अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को खारिज कर दिया। इसके बाद चोपड़े ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 

याचिका पर खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि उसके मुवक्किल का एक छोटा भाई भी है। लेकिन जन्म के बाद उसके भाई को माता पिता ने अपने रिश्तेदार को दत्तक दे दिया था। सुनवाई के दौरान एमआईडीसी के वकील ने राज्य सरकार की ओर से 28 मार्च 2001 को जारी शासनादेश का हवाला देकर याचिका का विरोध किया। इस शासनादेश के मुताबिक जिस कर्मचारी के दो से अधिक बच्चे होंगे उसकी संतान अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगी। शासनादेश के अनुसार यदि कर्मचारी को जुड़वा बच्चे होते हैं तो उसे एक ही माना जाएगा।  खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने व अनुकंपा नियुक्ति को लेकर जारी शासनादेश में उल्लेखित शर्तो पर गौर करने के बाद चोपड़े की याचिका को खारिज कर दिया और साफ किया कि बच्चे को दत्तक देना दो बच्चों के नियम से बचने का रास्ता नहीं हो सकता है। 

Created On :   12 March 2022 6:35 PM IST

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