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बंधुत्व के लक्ष्य को हासिल करने सरकार धार्मिक भवनाओं में हस्तक्षेप को रोके

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई की सत्र न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार आश्वस्त करे कि कोई एक समुदाय किसी दूसरे समुदाय की धार्मिक भावनाओं को लेकर हस्तक्षेप न करे। ताकि संविधान द्वारा बंधुत्व को बढावा देनेवाले लक्ष्य को हासिल किया जा सके। कोर्ट ने यह बात एक पार्टी के तीन कार्यकर्ताओं को अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए यह बात कही। इन आरोपी कार्यकर्ताओं पर अजान के समय एक मस्जिद के सामने बाजा(ड्रम) बजाने का आरोप था। जिन आरोपियों को जमानत प्रदान की गई है उनके नाम विनोद शेलार,सुनील कोली,दीपकराव राणे है। पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए(दो समुदाय के बीच नफरत फैलाने) 141( अवैध जमावबंदी),142 (अवैध जमाव बंदी का हिस्सा होना),149 व 188(सरकारी अधिकारी के आदेश की अवहेलना) व महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए आरोपियों ने अग्रिम जमानत दिए जाने की मांग को लेकर कोर्ट में आवेदन दायर किया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसयू बघेली के सामने आरोपियों के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि आरोपियों पर गंभीर आरोप है। इसलिए उन्हें जमानत न दी जाए। इस मामले में आरोपियों ने जुलूस के दौरान ड्रम बजाकर एक समुदाय की प्रार्थना में अवरोध पैदा किया है। इस तरह का कृत्य दंगे को भड़कानेवाला है। पुलिस इस मामले की जांच करना चाहती है कि आरोपियों ने जो कृत्य किया है उसकी पहले से तो योजना नहीं बनाई गई थी। इसलिए आरोपियों की हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरुरी है। किंतु न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरुरत नहीं आ रही है। इस मामले में आरोपियों ने कोई नारेबाजी नहीं की है। जिससे सामाजिक सौहार्द बिगड़े। लिहाजा आरोपी जमानत पाने के हकदार है। न्यायाधीश ने कहा कि राज्य सरकार को आश्वस्त करना चाहिए कि कोई एक समुदाय किसी दूसरे समुदाय की धार्मिक भावनाओं को लेकर हस्तक्षेप करे। ताकि संविधान द्वारा बंधुत्व को बढावा देनेवाले लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
Created On :   7 May 2022 7:04 PM IST