अगरबत्ती के लिए सरकार कराएगी बांस की खेती - सतना जोन में है अनुकूल आवोहवा

Government will make bamboo cultivation for incense sticks
अगरबत्ती के लिए सरकार कराएगी बांस की खेती - सतना जोन में है अनुकूल आवोहवा
अगरबत्ती के लिए सरकार कराएगी बांस की खेती - सतना जोन में है अनुकूल आवोहवा

 डिजिटल डेस्क सतना। अगरबत्ती में प्रयुक्त होने वाली बांस की काड़ी के लिए राज्य शासन बांस की खेती को पूरी शिद्दत के साथ प्रोत्साहित करेगी। अभी काड़ी के लिए विदेशों से 800 करोड़ के बांस का आयात किया जाता है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रदेशव्यापी अभियान के तहत शासन स्तर पर प्रदेश के 3 लाख 70 हजार बिगड़े वनों में पंचायत एवं वन समितियों के माध्यम से उम्दा किस्म के बांस की फसल लेने का लक्ष्य है। 

बलकोवा के अनुकूल हैं सतना के जंगल 
जानकारों ने बताया कि बांस की खेती के लिए सतना जिले में पहले से ही काफी काम चल रहा है। उम्दा किस्म के इन बांसों के पोर डेढ़ से 2 फिट लंबे होते हैं। जिले के परसनिया से लेकर बरौंधा,मझगवां, बिरसिंहपुर और धारकुंडी तक के जंगलों की आवोहवा तो उत्कृष्ट किस्म के बलकोवा बांस के लिए अत्यंत अनुकूल है। यहां के बिगड़े वनों में बांस के घने जंगलों को बड़ी तादाद में देखा जा सकता है। 

सोनौरा नर्सरी में है ट्रीटमेंट प्लांट  
स्टेट बेम्बू मिशन के अंतर्गत जिला मुख्यालय में वन विभाग की सौनोरा नर्सरी में बांस के लिए ट्रीटमेंट प्लांट भी स्थापित किया गया है। इस ट्रीटमेंट प्लांट में किसानों से खरीदे गए बांसों का परिशोधन किया जाता है। ट्रीटमेंट प्लांट से निकले बांस की उम्र बढ़ कर 30 से 40 वर्ष हो जाती है। उल्लेखनीय है,शासन पहले से ही बांस की खेती पर किसानों को 2 वर्ष के लिए 50 फीसदी सबसिडी भी देती आ रही है। 

फर्नीचर और आभूषण भी 
वन विभाग की सोनौरा नर्सरी में बांस का सिर्फ ट्रीटमेंट नहीं होता है। यहां बांस के फर्नीचर और आर्नामेंट भी बनाए जाते हैं।  इतना ही नहीं आदिवासी बाहुल्य जिले के परसमनिया के जंगल में गढ़ौत और एक अन्य गांव में काड़ी के साथ अगरबत्ती  निर्माण का काम भी किया जाता है। इसके लिए वन विभाग द्वारा आदिवासी बालिकाओं  के गु्रप बनाकर उन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। उत्पाद के लिए बाजार उपलब्ध कराने का काम वन विभाग की सहकारी समितियां करती हैं।  
 

Created On :   2 Sep 2019 8:20 AM GMT

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