सरकार नहीं देगी शुल्क, नई दरों से कॉलेजों को झटका

Government will not pay fees, colleges are shocked by new rates
सरकार नहीं देगी शुल्क, नई दरों से कॉलेजों को झटका
सरकार नहीं देगी शुल्क, नई दरों से कॉलेजों को झटका

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  राज्य सरकार ने राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा अनुदानित और गैर-अनुदानित कॉलेजों के लिए निर्धारित करीब 12 प्रकार के शुल्क की प्रतिपूर्ति कॉलेजों को देने से इनकार कर दिया है। सरकार ने साफ कह दिया है कि छात्रवृत्ति योजना में वे नागपुर यूनिवर्सिटी के नामांकन शुल्क, यूनिवर्सिटी वार्षिक शुल्क, विद्यार्थी कल्याण निधि, जैसे करीब 12 प्रकार के शुल्कों का भुगतान नहीं करेंगे। सरकार के आदेश में यह भी कहा गया है कि कॉलेज विद्यार्थियों को उनकी जेब से यह शुल्क भरने को न कहें, जबर्दस्ती करने वाले कॉलेज के प्राचार्य या संचालक पर फौजदारी मामला दर्ज करने की चेतावनी दी गई है। इस समीकरण से कॉलेजों में हड़कंप मच गया है।

कॉलेजों को अब से अपनी जेब से अतिरिक्त रकम भरने की नौबत है। इसके कारण अनुदानित कॉलेजों को करीब 570 रुपए प्रति विद्यार्थी और गैर-अनुदानित कॉलेजों को 1690 रुपए प्रति विद्यार्थी का नुकसान हो रहा है। जितने ज्यादा विद्यार्थी, उतना अधिक नुकसान। प्राचार्य फोरम के आकलन के अनुसार 3000 विद्यार्थी क्षमता वाले अनुदानित कॉलेज को प्रतिवर्ष 17 लाख 10 हजार रुपए और गैर-अनुदानित कॉलेज को 50 लाख 70 हजार रुपए प्रतिवर्ष नुकसान उठाना पड़ेगा। शैक्षणिक सत्र 2019-20 की बड़ी रकम तो कॉलेज अपने फंड से विवि को दे चुके हैं।

ऐसी है प्रक्रिया
नागपुर विश्वविद्यालय से संलग्नित  अनुदानित और गैर-अनुदानित कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को 28 विविध प्रकार के शुल्क भरने होते हैं। कॉलेजों को विद्यार्थियों से यह शुल्क लेकर 31 मार्च तक विवि में जमा कराना होता है। छात्रवृत्ति धारक विद्यार्थियों की फीस सरकार द्वारा भरी जाती है। 
प्रदेश सरकार ने इस साल फरवरी और अक्टूबर में जीआर जारी करके आरक्षित प्रवर्गों के विद्यार्थियों की दी जाने वाली छात्रवृत्ति की दरों में बदलाव किया। नागपुर विवि के 12 प्रकार के शुल्क शामिल नहीं किए। 
अब स्थिति है कि शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए कई कॉलेजों ने शुल्क भर दिया है, लेकिन सरकार की नई दरों के कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। शेष रकम का भुगतान कौन करेगा इस पर कोई स्पष्टता नहीं है।

कोर्ट जाने की तैयारी 
इस विषय पर हाल ही में प्राचार्य फाेरम की बैठक हुई, जिसमें सदस्य प्राचार्यों को यह मुद्दा अपने अपने कॉलेज प्रबंधन तक पहुंचाने की सहमति बनी। संगठन सचिव डॉ. आरजी टाले ने बताया कि इस नई समस्या को लेकर प्रदेश सरकार के संबंधित मंत्रियों से लेकर विविध स्तरों पर उठाया गया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। ऐसे में अब कोर्ट जाने की तैयारी की जा रही है।

Created On :   14 Dec 2020 10:04 AM IST

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