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65 रुपए लीटर पर अब मिल सकेगा केरोसीन, कालाबाजारी रोकने सरकार का निर्णय

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केरोसीन की कालाबाजारी पर रोक लगाने अब 65 रुपए लीटर पर बेचने का निर्णय लिया गया है। केंद्र सरकार की तर्ज पर अब राज्य सरकार ने भी ईंधन को बिना अनुदान बेचने का निर्णय लिया है। इसके अनुसार, राज्य सरकार तय मात्रा से अधिक केरोसिन या जिन्हें जितनी आवश्यकता है, उन्हें केरोसिन बिना अनुदानित (नॉन सब्सिडी) राशि पर बेचने का निर्णय लिया है। बिना अनुदान वाला केरोसिन 65 रुपए प्रति लीटर की दर पर मिलेगा। इसे जितना चाहें, उतना खरीद सकते हैं। इसके लिए कोई मर्यादा नहीं है। सिर्फ यह भरोसा दिलाना होगा कि इस तेल का गाड़ियों में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। सरकार द्वारा इसके लिए प्रत्येक शहर व जिलों में एक-एक डीलर की नियुक्ति की गई है। नागपुर शहर में लकड़गंज स्थित मे. अजंता ऑइल एजेंसी को इसके लिए नियुक्त किया गया है। बिना अनुदान वाले इस केरोसिन को सरकारी भाषा में फ्री-सेल केरोसिन के नाम से भी जाना जाता है।
कालाबाजारी पर लगेगी रोक
फिलहाल सार्वजनिक राशन दुकान (पीडीएस) प्रणाली अंतर्गत राशन कार्डधारकों को 4 लीटर केरोसिन दिया जाता है। पीडीएस मार्फत 27 रुपए प्रति लीटर की दर से केरोसिन दिया जाता है। जिनके पास सिलेंडर है, उन्हें राशन कार्ड पर एक लीटर भी केरोसिन नहीं मिलता है। इन्हें जरूरत के समय में ब्लैक में केरोसिन खरीदना पड़ता है। इससे केरोसिन की कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है। अब ऐसे सभी जरूरतमंदों के लिए सरकार ने फ्री-सेल केरोसिन के नाम पर अलग दुकान खोल ली है। प्रशासन का दावा है कि इससे केरोसिन की कालाबाजारी पर काफी हद तक रोक लग सकेगी।
सब्सिडी पर मिलते हैं 12 सिलेंडर
यपीए सरकार ने साल भर में 12 सिलेंडर सब्सिडी पर देने का निर्णय लिया था। हालांकि ग्राहकों को नॉन सब्सिडी वाली कीमत भुगतान करनी पड़ती है। सब्सिडी की राशि उनके बैंक खाते में जमा होती है। 12 से अधिक सिलेंडर खरीदने पर प्रत्येक सिलेंडर का नॉन सब्सिडी कीमत देनी होती है। अब राज्य सरकार ने केरोसिन मामले में भी यही नीति अपनाई है।
अभी इन्हें मिलता है फ्री-सेल केरोसिन
फिलहाल मनपा के दहन घाट, दवाओं के छिड़काव, शासकीय मुद्रणालय में विविध छपाई और छपाई मशीन दुरुस्ती सहित विविध प्रकार के कामों के लिए अनुदानित केरोसिन पर बंदी है। इसके लिए सरकार फ्री-सेल केरोसिन ही उपलब्ध कराती है। यह अब तक खुले बाजार में नहीं मिलता था। सरकार से सीधे इसकी खरीदी की जाती थी। राशन दुकानों में नीले रंग का केरोसिन इस्तेमाल होता है, जबकि यह सफेद होगा।
Created On :   25 Oct 2018 10:53 AM IST