शिवसेना को छोड़ विपक्ष को साधती दिखी BJP सरकार

Governments full emphasis was on granting bills
शिवसेना को छोड़ विपक्ष को साधती दिखी BJP सरकार
शिवसेना को छोड़ विपक्ष को साधती दिखी BJP सरकार

योगेश चिवंडे, नागपुर। करीब तीन सप्ताह चले मानसून सत्र में सरकार का पूरा जोर विधेयक मंजूर कराने पर रहा। सरकार विधेयकों को लेकर बैकफुट पर दिखी। इसके लिए उसने शिवसेना की नाराजगी मोल लेना पसंद किया, लेकिन विपक्ष को नाराज नहीं किया। उसे इसका विपक्ष ने अहसास भी कराया। किसानों की जमीन से नलयोजना व अन्य पाइपलाइन ले जाने के विधेयक को NCP-कांग्रेस के विरोध के बाद सरकार को वापस लेना पड़ा। उधर, शिवसेना द्वारा शनि शिंगणापुर मंदिर को सरकारी नियंत्रण के विधेयक का विरोध किया गया। लेकिन विपक्ष का सहयोग मिलने से वह बिल पारित कराने में कामयाब रही। ऐसे में बिल पारित कराते समय शिवसेना से ज्यादा विपक्ष को तवज्जो दी गई। विधानपरिषद में NCP-कांग्रेस मिलकर अभी भी बहुमत में है।

मानसून सत्र में 12 दिन चले कामकाज में सरकार पहले 11 दिन कई कारणों से अपने बिल पारित कराने में विफल रही। लेकिन अंतिम दिन यानी 20 जुलाई को सरकार ने विपक्ष से विधेयकों को मंजूर कराने के लिए सहयोग मांगा। अंतिम दिन सुबह से शाम तक सिर्फ विधेयकों पर चर्चा हुई। इस दौरान 15 विधेयक सदन में रखे गए, जिसमें सभी को मंजूरी मिली। शिवसेना के इस विरोधी रवैये के अलावा सरकार को अपने सदस्य भी परेशानी में डालते रहे। सदन में मुद्दों की राजनीति के बजाए व्यक्तिगत आरोप होने से मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा। ताजा उदाहरण भाजपा के सुरेश धस का रहा। जिन्होंने अपनी स्थानीय राजनीति को सदन में व्यक्तिगत स्तर पर ले जाने की कोशिश की।

दो-तीन मौके ऐसे थे, जब वे विषयों पर चर्चा करते हुए व्यक्तिगत स्तर पर आरोप-प्रत्यारोप करते दिखे। मराठवाड़ा की राजनीति में सुरेश धस का NCP सदस्य अमरसिंह पंडित के आमना-सामना है, लेकिन प्रस्तावों पर चर्चा के दौरान वे व्यक्तिगत स्तर पर आरोप करते दिखे।

प्रतिपक्ष नेता धनंजय मुंडे को इसमें हस्तक्षेप कर सभापति के माध्यम से उन्हें शांत कराना पड़ा। शिवसेना सदस्य डॉ. नीलम गोर्हे भी इस बार NCP से खासी नाराज दिखीं। उनकी शिकायत थी कि NCP सदस्य जानबूझकर उन्हें बोलने से रोकते हैं। इसे लेकर उन्हें कई बार बिगड़ते देखा गया। प्रतिपक्ष नेता धनंजय मुंडे और अमरसिंह पंडित से वे सीधे लड़ती दिखी। एक मौके पर सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी वे अपने मुद्दे को लेकर NCP सदस्यों पर बरसती रही।  इसी तरह के एक मामले में शिवसेना सदस्य अनिल परब ने जाति पड़ताल समिति के कामकाज को लेकर आरोपों की बौछार कर दी थी।

आरोपों का खंडन करते हुए  सामाजिक न्यायमंत्री राजकुमार बडोले ने इसे व्यक्तिगत स्तर पर लेते हुए उन्हें परब से सदन में माफी मांगने की अपील की थी। इन सब मामलों को देखते हुए आखिर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने सदस्यों का नाम लिए बिना कहा कि ये सदन व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप के लिए नहीं है। मुख्यमंत्री का ये संदेश इन सदस्यों के लिए काफी था। 

Created On :   22 July 2018 5:02 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story