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जमीन मालिक को मुआवजा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी-हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि सरकार जब सार्वजनिक उद्देश्य के लिए जमीन का अधिग्रहण करती है तो यह आश्वस्त करना उसका दायित्व है कि जमीन मलिक को मुआवजा मिले। न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव ने भारतीय राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है।
मामला नाशिक की दो महिलाओं मालतीबाई पवार व उज्वला थोरात की जमीन के मुआवजे से जुड़ा है। जिनकी नाशिक के राहुड गांव में तीन हजार वर्ग मीटर व 1900 वर्ग मीटर जमीन एनएच 3 के चौड़ीकरण प्रोजेक्ट के लिए लेना तय किया गया था। 13 साल पहले जमीन के अधिग्रहण से जुड़ी प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी। नाशिक के उपजिलाधिकारी(जमीन अधिग्रहण) ने 22 सौ रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से जमीन का मुआवजा तय किया था। नाशिक की सत्र न्यायालय ने भी उपजिलाधिकारी के निर्णय को सही माना था। जिसके खिलाफ एनएचएआई ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के न्यायमूर्ति जाधव ने कहा कि सार्वजनिक उद्देश्ययो के लिए सरकार के पास जमीन अधिग्रहण का अधिकार है। फिर चाहे जमीन मालिक की इच्छा हो या नहीं। लेकिन सरकार जब अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करती है तो यह आश्वस्त करना सरकार की जिम्मेदारी है कि जमीन मालिक को मुआवजा मिले। सरकार को अपने इस दायित्व का निर्वहन करना बाध्यकारी है। मौजूदा मामले में तो जमीन मालिक दोनों महिलाएं 13 साल से अपने जमीन के इस्तेमाल से वंचित है। यह बात कहते हुए न्यायमूर्ति ने एनएचएआई को आठ सप्ताह के भीतर नाशिक के सिविल कोर्ट में मुआवजे की रकम जमा करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति ने फिलहाल अपने इस फैसले पर 12 जनवरी 2021 तक के लिए रोक लगाई है। ताकि एनएचएआई हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सके।
Created On :   21 Nov 2020 5:27 PM IST