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मध्य प्रदेश: पार्षद चुनेंगे महापौर, राज्यपाल ने दी अध्यादेश को मंजूरी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। अब मध्य प्रदेश में महापौर और नगरीय निकायों के अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होगा। राज्यपाल लालजी टंडन ने राज्य सरकार के नगरीय निकाय विधि संशोधन अध्यादेश 2019 को मंज़ूरी दे दी। इसके तहत अब महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षद कर सकेंगे। राज्यपाल ने परिसीमन के बाद चुनाव के लिए मिलने वाले छह महीने के समय को घटाकर दो महीने कर दिया। इससे प्रशासन को दावे-आपत्ति के लिए भी कम समय मिलेगा।
सरकार का कहना है कि महापौर चुनाव सीधे नहीं होने से करीब 35-40 करोड़ रुपए की बचत होगी। कमलनाथ सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव से संबंधित दो बिल राज्यपाल टंडन को मंजूरी के लिए भेजे थे। इनमें से पार्षदों द्वारा शपथ-पत्र में गलत जानकारी देने पर जुर्माना और सजा संबंधी अध्यादेश को राज्यपाल ने मंजूर कर दिया था। अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर के चुनाव वाला बिल रोक दिया था। भाजपा इसको लेकर विरोध कर रही है।
विपक्ष का विरोध दरकिनार
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अध्यादेश को रद्द करने की मांग की थी। सोमवार को चौहान ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर अध्यादेश रद्द करने की मांग की थी। जिसके बाद सूीएम कमलनाथ और राज्यपाल की मुलाकात के बाद अध्यादेश लागू होने के कयास लगाए जा रहे थे।
राज्यपाल का फैसला सर्वमान्य
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि अध्यादेश पर राज्यपाल का फैसला सर्वमान्य है। वहीं सरकार को पार्षदों की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए नगरीय निकायों में दल-बदल रोकने का कानून लागू करना चाहिए। इसके लिए भी सरकार अध्यादेश लाए।
भोपाल का होगा बंटवारा
वहीं भोपाल कलेक्टर ने नगर निगम को दो भागों में बांटने का प्रस्ताव जारी कर दिया है। भोपाल को दो हिस्सों में बांटकर दो नगर निगम (भोपाल ईस्ट और भोपाल वेस्ट) किया जाएगा। भोपाल ईस्ट में 31 वार्ड और वेस्ट में 54 वार्ड शामिल होंगे। राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद दो निकायों के गठन की अंतिम अधिसूचना जारी होगी। अगर प्रस्ताव पारित हुआ भोपाल राज्य का पहला शहर होगा जहां एक ही जिले में दो नगर निगम होंगी।
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