टाइपिंग की गलती के चलते काटनी पड़ी जेल 

Had to be jailed due to typing mistake
टाइपिंग की गलती के चलते काटनी पड़ी जेल 
नाईजीरियन नागरिक को 2 लाख का मुआवजा देने का आदेश  टाइपिंग की गलती के चलते काटनी पड़ी जेल 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फोरेंसिक लैब की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में टाइपिंग की गलती के चलते साल 2020 से जेल में बंद एक नाइजीरियन नागरिक को दो लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। इससे पहले सरकारी वकील ए ए टकलकर ने न्यायमूर्ती भारती डागरे के सामने कहा कि इस मामले में रिपोर्ट तैयार करनेवाले अधिकारी के खिलाफ जांच की जाएगी। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर राज्य के मुख्य सचिव से फोन पर बात की है। लेकिन इस मामले में सरकार के पास मुआवजे को लेकर वर्तमान में कोई नीति नहीं है।  इस पर न्यायमूर्ति ने सरकारी वकील से कहा कि आप लोगों को बेवजह जेल में रखेंगे और फिर इसलिए मुआवजा नहीं देगे क्योंकि आपके (सरकार) पास कोई नीति नहीं है। न्यायमूर्ति ने कहा कि जब बात किसी को उसके मौलिक अधिकार से वंचित करने की हो तो आपके पास मुआवजे की नीति जरुरी है। इसलिए मैं मुआवजे का आदेश जारी करुंगी और इसकी वसूली गलती करनेवाले अधिकारी से करने की छूट दूंगी। 

न्यायमूर्ति ने कहा कि इस मामले में अधिकारी ने खुद कहा है कि गलती हुई है। इसलिए अब सरकार इस मामले में क्या जांच करेगी। इस पर सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि है। इसलिए हो सकता है कि इस वजह से रिपोर्ट बनाते समय गलती हुई हो। इस तर्क पर न्यायमूर्ति ने कहा कि 22 महीने बाद अधिकारी को अपनी गलती का एहसास हुआ है। ऐसे में अब अधिकारी को लेकर क्या जांच की जाएगी। इस तरह न्यायमूर्ति ने नाइजीरियन नागरिक को दो लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया। 

आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने नाइजीरियन नागरिक एन सैम्युअल को  किसी शख्स को मादक पदार्थ पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। नाइजीरियन नागरिक ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर किया था। गिरफ्तारी के बाद नाइजीरियन के पास से बरामद मादक पदार्थ को जांच के लिए कालीना के फोरेंसिक लैब में भेजा था। लैब ने पहले रिपोर्ट में आरोपी के पास से मिले पदार्थ को ड्रग्स बताया लेकिन बाद में अपनी रिपोर्ट में सुधार कर कहा कि उसने जो रिपोर्ट भेजी है उसमें टाइपिंग की गलती हो गई है। आरोपी के पास जो सामग्री मिली है वह कोकिन व अन्य मादक पदार्थ नहीं है।  मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि यह मामूली टाइपिंग की त्रुटी नहीं है बल्कि बड़ी गलती है। 
 

Created On :   12 Aug 2022 7:29 PM IST

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