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हाथों को नहीं मिल रहा काम, याद आ रहा गाँव

आज मजदूर दिवस - काम धंधे हुए बंद, हर दिन कमाने खाने वाले श्रमिकों की बढ़ी मुसीबत
डिजिटल डेस्क जबलपुर । किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढाँचा खड़ा नहीं रह सकता। बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन और कफ्र्यू के कारण हर वर्ग प्रभावित हुआ है, लेकिन सबसे बड़ी परेशानी उनके सामने खड़ी हो गई है जो हर दिन कमाते खाते हैं। शहर की कृषि उपज मंडी, दीनदयाल चौक, अधारताल, लेबर चौक जैसी जगहों पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मजूदर दूसरे गाँवों से पहुँचकर रोजगर प्राप्त करते थे, लेकिन कोरोना के चलते उनका रोजगार छिन गया है। लॉकडाउन के बाद भी इन जगहों पर प्रतिदिन श्रमिकों की भीड़ देखी जा सकती है, हालाँकि यह भीड़ सामान्य दिनों के मुकाबले कम है, लेकिन यह जताने के लिए काफी है कि परिवार पालने के लिए श्रमिक कोरोना काल में भी घर से निकल रहे हैं, ताकि दो वक्त की रोटी जुटा सकें।
पता नहीं बाल बच्चों का क्या होगा
लेबर चौक पर काम की तलाश में बैठे राजेश, मुन्नालाल, मनोज, सुरेश आदि ने बताया कि हालात बहुत खराब हैं। काम के लिए आओ तो पुलिस जाने को कहती है, उधर घर वाले इस आस में इंतजार करते रहते हैं कि आज कुछ काम मिला होगा तो चार पैसे आएँगे, ताकि सबका पेट भर सके। महँगाई इतनी है कि राशन की दोगुनी कीमत देनी पड़ रही है।
उधार माँग कर भर रहे घर वालों का पेट
अधारताल चौक पर मौजूद कंधीलाल, मो. इरशाद, मोहित, रामकुमार जैसे श्रमिकों की समस्या भी दूसरे श्रमिकों से जुदा नहीं है। सभी का कहना था कि घर पर खाने के लिए कुछ नहीं है और लॉकडाउन के कारण काम भी नहीं मिल रहा है। शहर में पनागर, दमोह, नरसिंहपुर, पाटन, शहपुरा, गोटेगाँव समेत आस-पास के गाँवों से बड़ी संख्या में श्रमिक दिहाड़ी मजदूरी के लिए आते हैं, इनमें कुछ अस्थाई रूप से भी यहाँ निवास करते हैं।
Created On :   1 May 2021 5:10 PM IST