शव का शॉल ओढ़ कुछ इस तरह लाज बचा रहे हरिश्चंद्र, जानिए क्या है माजरा?

Harishchandra saved respect with shawl of dead body
शव का शॉल ओढ़ कुछ इस तरह लाज बचा रहे हरिश्चंद्र, जानिए क्या है माजरा?
शव का शॉल ओढ़ कुछ इस तरह लाज बचा रहे हरिश्चंद्र, जानिए क्या है माजरा?

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महानगर पालिका की लापरवाही के कारण दहनघाटों की नियमित देखभाल और मरम्मत नहीं हो रही है। इसके कारण अनेक घाट बदहाली का शिकार हो चुके हैं। पूर्व नागपुर में स्थित शहर के सबसे पुराने गंगाबाई घाट का भी यही हाल है। यहां पिछले दो साल से बदहाली पांव पसार रहीं है। यहां लगी प्रतिमाएं टूटने की कगार पर हैं। कुछ प्रतिमाएं टूट चुकी हैं। रंगरोगन पूरी तरह गायब हो चुका है। बरसों पहले यहां स्थापित की गई राजा हरिश्चंद्र की प्रतिमा पूरी तरह टूट चुकी है। दो साल तक यह प्रतिमा झाड़ियों में पड़ी रही। महीनाभर पहले इसी टूटी प्रतिमा को घाट परिसर में एक चबूतरे पर खड़ा कर दिया गया। ऊपर से उसके टूटे हिस्से को छिपाने के लिए अंत्येष्टि के काम आने वाली शॉल पहना दी गई है। 

तीन साल पहले टूटी थी प्रतिमा
27 साल पहले 1991 में गंगाबाई घाट का सौंदर्यीकरण किया गया था। उस समय 50 हजार रुपए खर्च किये गए थे। इस राशि से मुख्य प्रवेशद्वार बनाया गया था। इसके ऊपर राजा हरिश्चंद्र, रानी तारामति और बालक रोहिताश्व की सीमेंट की प्रतिमाएं स्थापित की गई थीं। यह एक तरह से झांकी थी। आगंतुकों को इसके माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया जा रहा था कि अंत्येष्टि के पहले कर चुकाना चाहिए। शहर के प्रसिद्ध मूर्तिकार दारलिंगे ने इन प्रतिमाआें को आकार दिया था। वर्ष 2015 में राजा हरिश्चंद्र की प्रतिमा गिर गई थी। इस कारण उसके हाथ और पैर टूट गए थे। बाद में कर्मचारियों ने इस प्रतिमा को शोक सभागृह की दीवार के पास रख दिया। तब से यह प्रतिमा वहीं पड़ी थी। इस प्रतिमा पर झाड़ियां उग आयी थीं। अगस्त 2018 तक यह प्रतिमा यूं ही पड़ी रही। कुछ समय पहले यहां के कुछ कर्मचारियों ने इसकी सुध ली। वहां पहले से एक तीन फीट की दीवार थी। इससे सटकर ही दूसरी दीवार बनाकर चबूतरे का रूप दिया गया। इसके ऊपर प्रतिमा खड़ी कर दी गई। घाट परिसर में स्थिल इलेक्ट्रॉनिक दहन मशीन के कमरे के सामने यह प्रतिमा खड़ी की गई है। मनपा ने इसकी सुध नहीं ली।

हास्यास्पद तो यह है कि ऐसा करने से पहले प्रतिमा की मरम्मत और रंगरोगन तक नहीं किया गया। प्रतिमा जिस हाल में थी, उसी हाल में खड़ी कर दी गई। जबकि इस प्रतिमा के दोनों हाथ टूटे हैं और दोनों पैरों के पंजे भी गायब हैं। बाकी बचे अंग भी धीरे-धीरे टूट रहे हैं। कांक्रीट की प्रतिमा को बनाने के लिए उपयोग किए गए लोहे की सरिया दिखने लगी है। इस प्रतिमा के टूटे अंगों को छिपाने के लिए वहां के कर्मचारियों ने उसे शव की शॉल पहना दी। सूत्रों ने बताया कि यह वह शॉल है, जो किसी मृतक की अंत्येष्टि से पहले उसे पहनायी जाती है और अग्निसंस्कार से पहले निकाल ली जाती है। ऐसे शॉल घाट परिसर में पड़ी रहती हैं। इन्हीं में से दो शालें राजा हरिश्चंद्र को पहना दी गई हैं।

महानगर पालिका प्रशासन अपनी कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा चर्चा में रहती है। चाहे मूलभूत सुविधाओं की बात हो या शहर के विकास की। कोई न कोई समस्या बताकर मनपा अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेती है। ऐसा ही कुछ हुआ है गंगाबाई दहन घाट पर। शहर का सबसे पुराना गंगाबाई दहन घाट दिन ब दिन बदहाल हो रहा है, लेकिन मनपा को इसकी कोई परवाह नहीं है। यहां राजा हरिश्चंद्र की प्रतिमा लगी थी, जो टूट गई। पिछले दो साल से यह प्रतिमा झाड़ियों में पड़ी रही लेकिन इसे सुधारने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया। अब टूटी प्रतिमा को दहन घाट परिसर के एक चबूतरे पर खड़ा कर दिया गया है मनपा द्वारा, जबकि इसके हाथ और पैर टूटे हुए हैं। यही नहीं राजा की प्रतिमा पर शव पर डाले गए शॉल से टूटे अंगों काे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।

Created On :   28 Oct 2018 5:23 PM IST

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