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4 दिन में 2 की मौत, 10 गंभीर - परसमनिया पठार में डायरिया का प्रकोप

डिजिटल डेस्क सतना। आदिवासी बाहुल्य परसमनिया पठार में डायरिया का प्रकोप फैला है। डायरिया से 4 दिनों में 2 लोगों की मौत हो गई जबकि 10 लोग गंभीर रूप से बीमार हैं। बरसात में गांव की कच्ची सडक़ कीचड़ से सराबोर होने के कारण मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते जिसकी वजह से उन्हें वक्त पर उपचार नहीं मिल पाता। गांव तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पा रही। डायरिया की खबर से स्वास्थ्य महकमे में हडक़प मच गया। खबर है कि खण्ड स्तरीय हेल्थ टीम मौके के लिए रवाना हो गई।
पुरैना गांव में फैला डायरिया
हासिल जानकारी के मुताबिक पुरैना ग्राम पंचायत के चौतरिहा मोहल्ला में डायरिया का कहर जानलेवा साबित हो रहा है। छल्लू आदिवासी की 45 वर्षीय पत्नी ललिता बाई पहले बुखार से पीडि़त हुई। गंज में झोलाछाप से उपचार कराने के बाद बुखार ठीक हुई तो 28 अगस्त को उल्टी-दस्त शुरू हो गई। गांव वाले किसी तरह मरीज को लेकर नागौद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे और 29 अगस्त को भर्ती कराया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। उसी गांव की में रहने वाली 19 वर्षीय बीना आदिवासी पिता बखतिया पंच भी उल्टी-दस्त का शिकार हो गई। इससे पहले कि उसे किसी प्रकार से अस्पताल ले जाया जाता घर पर ही बीना की मौत हो गई।
बरसात में आने-जाने का रास्ता नहीं
बरसात के दिनों में गांव से आवागमन का रास्ता बंद हो जाता है। इकलौती कच्ची सडक़ बारिश के मौसम में कीचड़ से सराबोर हो जाती है। बरसाती नाला उफना रहा है जिसमें मचान बांधकर इधर से उधर आते-जाते हैं। मगर मरीजों को इस रास्ते लाया नहीं जा सकता। दूसरा रास्ता हरदुआ होकर जाता है। इसमें गांव वालों को 3 किलोमीटर घाटी में पगडण्डी उतर कर जाना पड़ता है। इस दुर्गम रास्ते से भी लोग कम ही गुजरते हैं। जरूरत पडऩे पर ए बुलेंस भी गांव तक नहीं पहुंच पाती।
परसमनिया पठार में ज्यादातर आदिवासी लकडिय़ां बेचकर गुजारा करते हैं। चौतरिहा मोहल्ला में पेयजल के नाम लोग हैण्डपंप के आसरे हैं। बकरियां चराने जंगल निकले आदिवासी नाले का ाी पानी पीकर काम चला लेते हैं। बीमार होने पर आदिवासी पहले झाडफ़ूंक का सहारा लेते हैं। इसके बाद झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल में फंस जाते हैं। जब कहीं आराम नहीं मिलता तब कहीं जाकर ये शहर की ओर कूच करते हैं।
ब्लॉक की टीम रवाना
डायरिया से दो मौतों की खबर से स्वास्थ्य महकमे के हाथ-पैर फूल गए। सीएमएचओ डॉ. एके अवधिया ने फौरन ब्लॉक से हेल्थ टीम को गांव के लिए रवाना कर दिया। टीम में सहायक मलेरिया अधिकारी सुशील पाण्डेय, दो एमपीडब्ल्यू भूप सिंह एवं बैजनाथ तथा फार्मासिस्ट गंगाराम को शामिल किया गया है। टीम के साथ मोबिलिटी वाहन के साथ भेजा गया है। मगर टीम के सामने चुनौती इस बात की होगी कि जब गांव तक आने-जाने का मार्ग ही नहीं है तो वह भला कैसे पहुंचेगी।
इनका कहना है
डायरिया की जानकारी मिलते ही हमने ब्लॉक में स्वास्थ्य टीम गठित कर गांव के लिए रवाना किया है। चूंकि गांव तक पहुंचने के लिए सुगम रास्ता नहीं है जिसके कारण उपचार में दिक्कतें पेश आ रही हैं। जरूरत पड़ी तो जिला मु यालय से डॉक्टरों की टीम भेजी जाएगी।
डॉ. एके अवधिया सीएमएचओ, सतना
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Created On :   2 Sept 2018 5:05 PM IST