फेरीवालों को मिली अधिवास प्रमाणपत्र देने की अनिवार्यता से राहत

hawkers got relief from the requirement of giving domicile certificate
फेरीवालों को मिली अधिवास प्रमाणपत्र देने की अनिवार्यता से राहत
हाईकोर्ट आने के बाद फेरीवालों को मिली अधिवास प्रमाणपत्र देने की अनिवार्यता से राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई । बांबे हाईकोर्ट आने के बाद फेरीवालों (स्ट्रीप वेंडर) को  सर्वेक्षण के दौरान अधिवास प्रमाणपत्र  देने की अनिवार्यता से राहत मिल गई है।  दरअसल सर्वेक्षण के दौरान फेरीवालों से राशनकार्ड व अधिवास प्रमाणपत्र (डोमिसाइल सर्टीफिकेट) अनिवार्य रुप से देने के लिए कहा जा रहा था। जबकि दिव्यांगता,जाति प्रमाणपत्र व तलाक से जुड़े दस्तावेज यदि उपलब्ध हो तो देने के लिए कहा जा रहा था। इससे परेशान नई मुंबई के पनवेल इलाके के तीन फेरीवालों ने अधिवक्ता क्रांति एल.सी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 

याचिका में दावा किया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से साल 2009 में शहरी फेरीवालों के लिए नीति बनाई गई थी। इस नीति के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में दिशा-निर्देश जारी किए थे। हाईकोर्ट ने भी साल 2017 में इस विषय पर निर्देश जारी किए थे। जिसके तहत फेरीवालों से अधिवास प्रमाणपत्र मांगने का प्रावधान नहीं है। यह स्ट्रीट वेंडर कानून के प्रावधानों के खिलाफ है। फिर भी नई मुंबई की पनवेल टाउन वेंडिग कमेटी फेरीवालों से सर्वेक्षण के दौरान अधिवास प्रमाणपत्र मांग रही है। इसके खिलाफ पनवेल निवासी कंचन परमार सहित तीन लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि वे दशकों से यहां पर रह रहे है। और समान बेचने काम करते है। 

न्यायमूर्ति एएस सैय्यद व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान अधिवक्ता क्रांति ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों व स्ट्रीट वेंडिंग अधिनियम के प्रावधानों से स्पष्ट है कि फेरीवालों से अधिवास प्रमाणपत्र की मांग नहीं की जा सकती है। याचिकाकर्ताओं द्वारा अधिवास प्रमाणपत्र न लेने के पीछे गरीबी व अशिक्षा सहित कई वजहे हो सकती है। इन दलीलों पर जब खंडपीठ ने पनवेल महानगरपालिका से जवाब मांगा तो मनपा के वकील एसवी गावंडे ने कहा कि सर्वेक्षण के स्तर पर फेरीवालों से डोमिसाइल नहीं मांगा जाएगा। गौरतलब है कि पनवेल टाउन वेंडिग कमेटी  पनवेल मनपा के मताहत कार्य कर रही है। पनवेल मनपा के वकील की इस बात को रिकार्ड में लेने के बाद खंडपीठ ने याचिका को समाप्त कर दिया। इस तरह से हाईकोर्ट आने के बाद फेरवालों को अधिवास प्रमाणपत्र की अनिवार्यता से राहत मिली है।  

Created On :   2 April 2022 7:18 PM IST

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