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पुणे में नहर की दीवार गिरने पर हाईकोर्ट ने प्रशासन से मंगाई रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने पुणे में मुठा नदी के नहर की दीवार गिरने के कारण थे यह दीवार अचानक कैसे टूटी? इसको लेकर सरकार व पुणे मनपा प्रशासन से रिपोर्ट मंगाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि नहर की दीवार गिरने के चलते जो प्रभावित हुए है, सरकार व मनपा प्रशासन उनके पुनर्वासन के लिए प्रभावी कदम उठाए और यह आश्वस्त करे की भविष्य में दोबारा ऐसी घटनाएं न हो। पिछले 27 सितंबर को पुणे में मुठा नदी के नहर की दीवार टूटने की घटना सामने आयी थी। जिससे करीब 900 से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। हादसे के बाद पुणे विभिन्न इलाकों में कई दिनों तक पानी की आपूर्ति ठप्प हो गई थी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व जस्टिस गिरीष कुलकर्णी की बेंच ने कहा कि प्रशासन यह आश्वस्त करे की दोबारा लोग फिर से नहर के किनारे अपना घर न बनाए। बेंच ने कहा कि सरकार सुनिश्चित करे कि प्रभावित लोगों को मदद के स्वरुप में दी जानेवाली राशि का सदुपयोग हो, क्योंकि जिस जगह पर प्रभावितों के घर बने थे वह सरकार की जमीन है। ऐसे में यदि मदद के रुप में मिली निधि से प्रभावित लोग फिर से वहीं घर बनाते है और कुछ समय बाद सरकार उसे अतिक्रमण बताकर गिराने के लिए आएगी तो फिर पुनर्वास के लिए निधि देने का क्या अर्थ रह जाएगा। इसलिए पुणे के जिलाधिकारी व पुणे मनपा आयुक्त आपस में बैठक कर पुनर्वास के लिए प्रभावी योजना बनाए।
पेशे से वकील असीम सरोदे ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायरक की है। याचिका में इस हादसे की जांच करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। इसके साथ ही नहर के इर्द-गिर्द बने अवैध निर्माण को हटाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। इस दौरान बेंच ने नहर की दीवार टूटने के चलते प्रभावित इलाके में मेडिकल शिविर आयोजित करने व स्कूली बच्चों तथा वरिष्ठ नागरिकों को आवश्यक चीजे उपलब्ध कराने को कहा है। बेंच ने कहा कि मनपा व सरकार इस मामले में गैर सरकारी संगठनों से भी सहयोग ले।
Created On :   5 Oct 2018 8:09 PM IST