प्लास्टिक पाबंदी पर हाईकोर्ट का फैसला जल्द, स्टॉक खत्म करने के लिए समय देने पर सवाल

HC decides on plastic ban, question raised on deadline to finish stock
प्लास्टिक पाबंदी पर हाईकोर्ट का फैसला जल्द, स्टॉक खत्म करने के लिए समय देने पर सवाल
प्लास्टिक पाबंदी पर हाईकोर्ट का फैसला जल्द, स्टॉक खत्म करने के लिए समय देने पर सवाल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने प्लास्टिक निर्माताओं को पानी की बोतलों (पेट बॉटल) का स्टाक तीन महिनें में समाप्त करने की समय सीमा तय किए जाने पर सवाल खड़े किए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि जब निर्माताओं को प्लास्टिक बोतल का स्टाक खत्म करने की इजाजत दी जा सकती है तो आम लोगों को इसके इस्तेमाल की अनुमति क्यों नहीं दी गई? न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने प्लास्टिक पर लगाई गई पाबंदी के खिलाफ पेट बाटल निर्माताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह सवाल किया। इसके साथ ही याचिका को विचारार्थ मंजूर कर लिया है। खंडपीठ ने मामले में फैसला देने की शुरुआत कर दी है। जो शुक्रवार तक पूरा हो जाएगा।

पेट बॉटल के साथ पकड़े गए तो होगी परेशानी
इससे पहले राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ईपी भरुचा ने कहा कि यदि कोई सरकार की ओर से प्लास्टिक को लेकर तय किए गए मानकों के विपरती पेट बॉटल के साथ पकड़ा जाता है, तो उसे दंडित किया जाएगा। हमने निर्माताओं को प्लास्टिक को रिसाइकिल व नष्ट करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया है। क्योंकि कभी न कभी तो हमे प्लास्टिक पर लगे प्रतिबंध को लागू करना पड़ेगा। प्लास्टिक के चलते मीठी नदी का प्रवाह रुक गया। सागर की ओर जाने वाले नाले जाम हो गए हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि जब सरकार ने पेट बाटल निर्माताओं को अपना स्टाक खत्म करने के लिए तीन महीने का समय दिया है तो आम लोगों को इसके इस्तेमाल की इजाजत क्यों नहीं दी है? आम लोगों को कैसे पता चलेगा कि जिस पेट बाटल का इस्तेमाल कर रहें है वह सरकार की ओर से प्लास्टिक को लेकर तय किए गए मानक  के अनुरुप है या नहीं?

प्लास्टिक और थर्माकॉल उत्पादों के संग्रह, वितरण व उत्पादन पर रोक
गौरतलब है कि सरकार ने 23 मार्च को अधिसूचना जारी कर प्लास्टिक व थर्माकोल के उत्पादों के संग्रह, वितरण व उत्पादन पर रोक लगा दी है। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाए दायर की गई हैं। याचिका में सरकार के निर्णय को नियमों के विपरीत व अतार्किक बताया गया है। याचिका के अनुसार सरकार का यह निर्णय व्यावहारिक नहीं है। इसका रोजगार पर असर पड़ेगा। सरकार को चरणबध्द तरीके से यह निर्णय लागू करना चाहिए था। क्योंकि प्लास्टिक के बाद अब लोगों के पास सिर्फ कांच, कागज व धातु का विकल्प ही बचता है। इसलिए सरकार को उचित विकल्प पर विचार करने के बाद यह रोक लगानी चाहिए थी। फिलहाल अदालत में इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है।

Created On :   12 April 2018 6:29 PM IST

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