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यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को नहीं दे सकता 50 फीसदी उपस्थिति से छूट- HC

डिजिटल डेस्क,मुंबई । कक्षा में विद्यार्थियों की पचास प्रतिशत उपस्थिति का नियम छात्रों के हित को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसलिए विश्वविद्यालय के उच्च पदस्थ प्राधिकरण को भी इस नियम से किसी को अनुचित छूट देने का अधिकार नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में इस बात को स्पष्ट किया है। दरअसल महानगर के एक कालेज ने कक्षा में 50 प्रतिशत से कम उपस्थिति के चलते वाणिज्य संकाय के 100 विद्यार्थियों को मार्च 2017 में दूसरे सेमिस्टर की परीक्षा देने से रोक दिया था। इसमे से 38 विद्यार्थियों ने मुंबई विश्वविद्यालय की शिकायत निवारण कमेटी के सामने अपनी बात रखी थी। कमेटी ने विद्यार्थियों को परीक्षा में प्रविष्ट होने की इजाजत देने को कहा था।
यूनिवर्सिटी कमेटी के खिलाफ दायर की याचिका
विश्वविद्यालय की कमेटी के इस निर्णय के विरोध में मुंबई के बीके श्राफ कालेज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति भूषण गवई व न्यायमूर्ति बीपी कुलाबावाला की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि विद्यार्थियों की उपस्थिति के बारे में निर्णय लेने का अधिकार संबंधित कालेज की कमेटी और कालेज के प्राचार्य का होता है। इस संबंध में विश्वविद्यालय की कमेटी दखल नहीं दे सकती है। विश्वविद्यालय के कालेजों का संरक्षक होने के नाते उसका काम अकादमिक हितों को देखना होता है। इसलिए विश्वविद्यालय की कमेटी छात्रों की उपस्थिति के संबंध में निर्णय लेने के लिए खुद को श्रेष्ठ न समझे।
कड़ा रूख अपनाने की दी सलाह
खंडपीठ ने कहा कि यदि उपस्थित को लेकर छात्रो को कोई दिक्कत है, तो इसके तार्किक कारण कालेज की कमेटी व प्राचार्य के सामने रख सकते हैं। कक्षा में विद्यार्थियों की उपस्थित को लेकर कड़ा रुख अपनाना चाहिए। विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखकर ही कक्षा में विद्यार्थियों की उपस्थिति के संबंध में नियम बनाया है। इसका उसे ध्यान रखना चाहिए। विश्वविद्यालय इस मामले में खुद को सर्वोच्च न समझे। कालेज के भी अपने अधिकार हैं। क्योंकि विद्यार्थी पढाई में तभी बेहतर कर सकेगा जब वह कक्षा में बैठकर लेक्चर अटेंड करेगा।
Created On :   10 Feb 2018 5:57 PM IST