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इलाज के दौरान महिला का हाथ पकड़ना छेड़छाड़ नहीं- हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क,मुंबई। इलाज के दौरान डाक्टर द्वारा महिला मरीज का हाथ पकड़ना छेड़छाड नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने एक डाक्टर के खिलाफ दर्ज छेड़छाड के मामले को रद्द करने को लेकर दिए गए आदेश में इस बात को स्पष्ट किया। महानगर के नवघर इलाके में क्लिनिक चलाने वाले डा. डा एस व्यंकटरमण के पास अप्रैल 2006 में एक महिला अपने हाथों की नसों में तकलीफ के इलाज के लिए अपने बेटे के साथ आई थी। महिला ने डाक्टर के कहने पर उसके हाथ की अंगुली पकड़ कर दबाया। इस बीच डाक्टर ने महिला के कंधे को दबाने के बाद कहा कि उसे कमर में विटामिन के इंजेक्शन लेने पड़ेंगे। इस दौरान महिला को डाक्टर का बर्ताव अनुचित लगा। इसलिए उसने डाक्टर के खिलाफ नवघर पुलिस स्टेशन में छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज करा दी। महिला की शिकायत के आधार पर पुलिस ने डाक्टर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354,354ए व 509 के तहत मामला दर्ज कर लिया।
कोर्ट ने लंबित केस किया रद्द
जांच के बाद पुलिस ने कोर्ट में आरोपपत्र में दायर किया जो मुलुंड कोर्ट में लंबित है। इसे रद्द करने की मांग को लेकर डाक्टर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वीके ताहिलरमानी व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने याचिका सुनवाई के लिए आयी। याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि जिस वक्त डाक्टर महिला मरीज का इलाज कर रहा था, उस समय पर वहां पर उसका बेटा व महिला कम्पाउंड भी मौजूद थी। इसके अलावा मामले को लेकर पुलिस अस्पताल ने जो अपनी रिपोर्ट दी है उसमें कहा गया है कि महिला की तकलीफ के हिसाब से डाक्टर ने सही इलाज किया था। जेजे अस्पताल के डाक्टरों ने भी अपनी रिपोर्ट में डाक्टर द्वारा किए गए इलाज को उचित ठहराया है। खंडपीठ ने रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि इलाज के लिए महिला का हाथ पकड़ना जरुरत थी। इसलिए इस मामले में छेड़खानी का मामला बनता ही नहीं है। यह कहते हुए खंडपीठ ने डाक्टर के खिलाफ मुलुंड कोर्ट में लंबित केस को रद्द कर दिया।
Created On :   3 Feb 2018 5:24 PM IST