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'विदेशी कर्ज' पर जवाब नहीं दे रही सरकार, कोर्ट ने दिया आखिरी मौका

डिजिटल डेस्क,नागपुर। विदेशी कर्ज सरकार द्वारा कोई जवाब न देने पर याचिका दायर की गई जिस पर हाईकोर्ट ने आखिरी मौका देते हुए तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका कर्ता सुनील मिश्रा है जिन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में भारत देश पर बढ़ते विदेशी कर्ज पर केंद्रित याचिका दायर की है। मिश्रा ने अपनी याचिका में बीते 16 वर्षों से देश पर लगातार बढ़ रहे विदेशी कर्ज का मुद्दा उठाया है। इस मामले में केंद्र सरकार हाईकोर्ट में जवाब देने से बच रही है। सोमवार को सुनवाई के दौरान जवाब देने में एक बार फिर केंद्र सरकार ने असमर्थता दिखाई। इस पर नाराज हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने का आखिरी माैका दिया है। केंद्र सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा गया है। याचिकाकर्ता ने स्वयं अपना पक्ष रखा। सरकार की आेर से एड. मुग्धा चांदुरकर ने पक्ष रखा।
यह है मामला : मिश्रा की याचिका के अनुसार आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार देश पर विदेश की विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से लिया गया 22 लाख 510 करोड़ रुपए का विदेशी कर्ज है। उन्होंने दावा किया है कि, 2005-06 में देश पर कुल 6 लाख 32 हजार 51 करोड़ रुपए का विदेशी कर्ज था। 2008 में विदेशी कर्ज की रकम बढ़ कर 8 लाख 97 हजार 955 करोड़ रुपए हो गई। इससे प्रत्येक नागरिक 7 हजार 891 रुपए से ऋणी हो गया। इसके बाद भी उन्होंने इतनी रकम की डीडी प्रधानमंत्री को भेजी, जिसे फिर एक बार सरकार ने उन्हें वापस लौटा दिया। इसके बाद 2010-11 में रकम बढ़ कर 17 लाख 66 हजार 800 करोड़ रुपए हो गई। 2014 तक यह रकम बढ़ कर 22 लाख 410 करोड़ रुपए हो गई। मिश्रा ने दावा किया है कि, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रत्येक भारतीय नागरिक पर 18 हजार 81 रुपए का कर्ज है। उन्होंने कर्ज के भुगतान के लिए भारत सरकार को 18 हजार 81 रुपए का डिमांड ड्राफ्ट भी भेजा और निवेदन किया कि सरकार उन्हें कर्जमुक्ति का प्रमाणपत्र जारी करे, लेकिन समय-समय पर िवभिन्न स्तरों पर पत्राचार के बावजूद उनका समाधान नहीं हो सका। बीते 5 अप्रैल को उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर अपनी समस्या का समाधान मांगा था, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। जिसके बाद उन्होंने कोर्ट की शरण ली।
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Created On :   5 Dec 2017 12:59 PM IST