अजनी में 4 हजार वृक्ष कटाई पर सुनवाई: कोर्ट ने कहा- यह अधिकार किसे

Hearing on felling of 4 thousand trees in Ajni _ Court said - who has this right
अजनी में 4 हजार वृक्ष कटाई पर सुनवाई: कोर्ट ने कहा- यह अधिकार किसे
अजनी में 4 हजार वृक्ष कटाई पर सुनवाई: कोर्ट ने कहा- यह अधिकार किसे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अजनी इंटरमॉडल स्टेशन के लिए 4 हजार वृक्षों की कटाई का विरोध करती जनहित याचिका पर  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। यह निकल कर आया कि वृक्ष कटाई पर दावे-आपत्तियों की सुनवाई करने के लिए मनपा प्रशासन में भ्रम है। सुनवाई का अधिकार किस अधिकारी के पास है, इस पर भ्रम है। दरअसल, वृक्ष अधिनियम में संशोधन के बाद यदि किसी प्रोजेक्ट में 200 से अधिक वृक्षों की कटाई प्रस्तावित हो तो इसकी सुनवाई राज्य वृक्ष समिति करेगी न कि मनपा की वृक्ष समिति। ऐसे में सुनवाई पर भ्रम निर्मित हुआ है। अब हाईकोर्ट ने मनपा आयुक्त को यह तय करने के आदेश दिए हैं कि आखिर वृक्षकटाई पर सुनवाई लेने के अधिकार किसे प्राप्त हैं? जिस भी प्राधिकरण को सुनवाई के अधिकार हैं, उसके पास अजनी वन का मामला भेज कर 8 सप्ताह में फैसला लेने के आदेश हाईकोर्ट ने जारी किए हैं। 

यह है आपत्ति : उल्लेखनीय है कि अजनी में इंटरमॉडल स्टेशन स्टेशन बनाने के लिए अजनी क्षेत्र के करीब 4000 वृक्ष काटे जाएंगे। याचिकाकर्ता श्वेता भुरभुरे व अजय तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इसका विरोध किया है। इस तरह स्वच्छ फांडेशन ने इस प्रोजेक्ट में पर्यावरण मंजूरी का मुद्दा उठाया है। हाईकोर्ट ने दोनों याचिकाओं पर बुधवार को एकत्र सुनवाई ली। याचिकाकर्ता के अनुसार, इंटर मॉडल स्टेशन के लिए वन विभाग से कोई पर्यावरण मंजूरी नहीं ली गई है। केंद्र सरकार ने रेलवे को छूट दे रखी है। लेकिन छूट केवल रेलवे लाइन के आस-पास की जमीन के इस्तेमाल के लिए है। यदि प्रोजेक्ट में व्यावसायिक और रिहायशी इमारतें शामिल हों, तो पर्यावरण मंजूरी लेना अनिवार्य है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.एम.अनिल कुमार और एनएचएआई की ओर से एड.आनंद परचुरे ने पक्ष रखा। 

एक अन्य याचिका खारिज : हिंगना आरक्षित वन्यक्षेत्र से होकर जा रही हाईटेंशन लाइन का विरोध करती रिट याचिका को नागपुर खंडपीठ ने खारिज कर दिया है। दरअसल इस कार्य के लिए क्षेत्र में हो रही वृक्ष कटाई का पर्यावरण प्रेमी डॉ.जयदीप दास ने विरोध करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। लेकिन मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने माना कि इस प्रकल्प के लिए पर्यावरण व वन मंत्रालय की अनुमति प्राप्त है।इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

Created On :   5 Aug 2021 3:49 PM IST

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