जंगलों के सिमटने से बढ़ीं मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाएं : याचिका में दावा

hearing on public interest petition over collapsing of forests
जंगलों के सिमटने से बढ़ीं मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाएं : याचिका में दावा
जंगलों के सिमटने से बढ़ीं मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाएं : याचिका में दावा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जंगलों के विकास को नजरअंदाज किए जाने के कारण ही मानव व वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही है। इस तरह की दलील एक जनहित यााचिका में की गई है। यवतमाल जिले के रालेगांव और केलापुर तहसील में आतंक मचाने वाली बाघिन को गोली मारने के वन विभाग के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका लंबित है। इस मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सरिता सुब्रमण्यम के अधिवक्ता आर. एल. खापरे और दिग्विजय खापरे ने कोर्ट में दलील दी कि मनुष्यों और बाघों के बीच संघर्ष दिनों-दिन बढ़ रहा है। ऐसा इसलिए कि सरकार जंगलों के विकास को नजरअंदाज कर रही है।

जंगलों में शाकाहारी भोजन की कमी 
जंगलों से शाकाहारी जानवरों के खाने लायक पौधे और घास कम होती जा रही है। प्रशासन केवल बड़े पेड़ों को उगाने में जुटा है। लिहाजा शाकाहारी जानवर कम हो रहे हैं, इसलिए बाघ भोजन की तलाश में बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसे में प्रशासन को जंगलों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हाईकोर्ट ने इस मामले में नेशनल टायगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) को प्रतिवादी बना कर नोटिस जारी किया है। मामले में अगले सप्ताह सुनवाई रखी गई है। यह है

मामला

वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, रालेगांव और केलापुर तहसील में बीते डेढ़ वर्ष से बाघिन ने उत्पात मचा रखा है। फिलहाल बाघिन ‘सखी’ सावरखेड़ा, उमरी क्षेत्र में विचरण कर रही है। वन विभाग की 200 अधिकारियों, कर्मचारियों की टीमों पिछले तीन महीने से उसे बेहोश करने की कोशिश कर रही है, लेकिन सफलता नहीं मिली है। यहां तक कि ट्रैप कैमरे भी विफल साबित हो रहे हैं। इस संबंध में हुई बैठक में राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों, वन्यजीव विशेषज्ञों और पीसीसीएफ ने बाघिन को देखते ही गोली मारने के निर्णय पर मुहर लगाई थी। इस फैसले को बदल कर अब वन विभाग ने उसे बेहोश करके पकड़ने का निर्णय लिया है।

Created On :   15 March 2018 2:04 PM IST

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