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बजट से भारी रोष , कामगार नेता सरकार के सामने दर्ज कराएंगे विरोध

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार ने जो बजट पेश किया, उसमें कामगारों को डबल झटका लगा है। केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने 15 हजार पर काटी जा रही ईपीएफ की राशि 25 हजार पर काटने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को दिया था, जिसे खारिज किया गया है। ईपीएफ में पहले आय, निकासी व योगदान तीनों कर मुक्त था। अब सालाना ढाई लाख से ज्यादा की राशि पर मिलने वाला ब्याज कर युक्त हो जाएगा।
ईपीएओ की तरफ से कामगारों का ईपीएफ 15 हजार पर काटा जाता है। इस हिसाब से कामगारों का ईपीएफ में योगदान कम होता है। इसका असर सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली राशि व पेंशन पर भी होता है। महंगाई के इस दौर में राशि ज्यादा मिले आैर पेंशन में भी वृद्धि हो सके, इसलिए 25 हजार पर ईपीएफ काटने का प्रस्ताव केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भेजा गया था। इस बजट से कामगारों को मिला तो कुछ नहीं, उल्टा करमुक्त राशि कर युक्त कर दी गई। इसके अलावा सेवानिवृत्ति के समय ईपीएफ की राशि लाखों में होती है। अगर 20 लाख से ज्यादा राशि हुई, तो ऊपर की राशि पर टैक्स लगेगा।
कामगारों को कमजोर करने की साजिश
सरकार ने बजट में कामगारों को कुछ नहीं दिया। ढाई लाख से ज्यादा राशि पर टैक्स लगाना तर्कसंगत नहीं है। कामगारों को कमजोर करने की यह साजिश है। पहले ईपीएफ में जमा होने वाली राशि, निकासी व योगदान कर मुक्त था। सरकार के समक्ष विरोध दर्ज किया जाएगा। -मुकुंद मुले, जिला सचिव इंटक
कामगारों के अधिकार खत्म करना चाहते हैं
मोदी सरकार धीरे-धीरे कामगारों के अधिकारों को खत्म करना चाहती है। पेंशन बढ़ाने की उम्मीद थी, लेकिन उस दिशा में कुछ नहीं किया। उल्टा ढाई लाख से ऊपर की राशि पर टैक्स लगा दिया। इसके विरोध में सड़क पर उतरने की जरूरत है। महंगाई के इस दौर में कामगारों की आय बढ़ाने की जरूरत है। - श्याम काले, प्रदेश महासचिव आयटक
Created On :   3 Feb 2021 3:02 PM IST