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दो दशक बाद पूर्व सैनिक को मिली जमीन का आवंटन रद्द किए जाने पर हाईकोर्ट नाराज

डिजिटल डेस्क,मुंबई। भारत-पाकिस्तान युद्ध में शामिल होनेवाले थल सेना के पूर्व सैनिक को दो दशक के इंतजार के बाद मिली जमीन के आवंटन को रद्द करने पर बांबे हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि सेना के सेवानिवृत्त सिपाही के साथ इस तरह का बरताव अपेक्षित नहीं है। जमीन के आवंटन को रद्द करने की शिकायत पर कार्रवाई करने से पहले सिपाही द्वारा राष्ट्र के लिए दिए गए योगदान पर विचार किया जाना चाहिए था। इस तरह से अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट ने सेना के पूर्व सैनिक सलीम मोमिन को आवंटित की गई जमीन के आवंटन को रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी है और अपीलेट अथारिटी को एक साल के भीतर सभी पक्षकारों को सुनने के बाद मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया है।
कारगिल में तनाव के बीच भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में हिस्सा लेने वाले मोमिन ने पहली बार खेती की जमीन के लिए 1997 में आवेदन किया था। इस दौरान उन्हें जमीन तो आवंटित की गई लेकिन जमीन का कब्जा नहीं दिया गया। इसके बाद 1998 व 1999 में मोमिन ने फिर जमीन आवंटन के लिए आवेदन किया। लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला आखिरकार मोमिन को सांगली के साखरले गांव में 12 मार्च 2020 को जमीन आवंटित की गई।
दो दशक के इंतजार के बाद जमीन पानेवाले मोमिन ने जमीन में सुरक्षा दीवार बनाई और पानी के लिए वहां पर बोरिंग करा के बिजली का कनेक्शन भी लिया। लेकिन इस बीच ग्रामपंचायत की शिकायत पर उप विभागीय अधिकारी ने मोमिन को मिली जमीन के आवेदन को रद्द कर दिया। मोमिन ने अतिरिक्त जिलाधिकारी के पास अपील की लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसलिए मोमिन ने अतिरिक्त जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की।न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने मोमिन की याचिका पर सुनवाई हुई।
न्यायमूर्ति ने याचिका पर गौर करने के बाद कहा कि सेना के पूर्व सैनिक जिसने कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया था उसके साथ इस तरह का बर्ताव ठीक नहीं है। ग्रामपंचयत को शिकायत करने से पहले याचिकाकर्ता(मोमिन) द्वारा राष्ट्र को दिए गए योगदान के बारे में विचार करना चाहिए था। हमारे सामने ऐसा कुछ नहीं है जो दर्शाए कि जमीन के आवंटन में गड़बड़ी हुई है अथवा याचिकाकर्ता जमीन के लिए पात्र नहीं है या फिर उसे दोबारा जमीन दी गई है। अतिरिक्त जिलाधिकारी ने इसमें से किसी पहलू पर गौर नहीं किया है। इसलिए अपीलेट अथारिटी इस पूरे मामले को दोबारा सुनकर एक साल के भीतर मामले का निपटारा करे। इस दौरान जमीन के आवंटन को रद्द करनेवाले आदेश पर रोक रहेगी।
Created On :   25 Dec 2021 6:40 PM IST