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हाईकोर्ट ने पूछा- रिक्त पदों पर विभाग ने क्यों नहीं की नियुक्तियां
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डिजिटल डेस्क, नागपुर । बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने बुधवार को राज्य महिला व बाल कल्याण विकास विभाग के प्रधान सचिव को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक नागपुर स्थित बालिकाओं के शेल्टर होम में रिक्त पदों पर विभाग ने अब तक कोई नियुक्तियां नहीं की हैं। सुनवाई में याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में भारतीय स्त्री शक्ति की ओर से अधिवक्ता रेणुका सिरपुरकर ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद भी यहां नियुक्तियां नहीं हुई हैं। विभाग ने आउटसोर्सिंग से यहां अस्थाई नियुक्तियां की है। इस पर सरकारी पक्ष द्वारा दलील दी गई कि राज्य में पदभर्ती पर प्रतिबंध होने के कारण यहां स्थाई नियुक्तियां नहीं हो सकीं। इससे नाराज हाईकोर्ट ने प्रधान सचिव को स्वयं पेश होकर नियुक्तियां नहीं करने पर स्पष्टीकरण देने को कहा है।
ये पद हैं खाली
दरअसल जनहित याचिका में शेल्टर होम की दुर्व्यवस्था का मुद्दा उठाया गया था। बीती सुनवाई में हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति ने कोर्ट को बताया था कि शेल्टर होम में 7 श्रेणियों में 19 पद रिक्त हैं। इसी तरह खानसामों के दो पद रिक्त हैं। इसके कारण शेल्टर होम के संचालन में परेशानी हो रही है, जिसके बाद कोर्ट ने यह आदेश जारी किए थे।
यह था मामला
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया था कि चिल्ड्रेंस होम फॉर गर्ल्स बाल न्याय कानून के तहत स्थापित किया गया है और यह विदर्भ का एकमात्र निवासालय है। यहां सुरक्षा की दृष्टिकोण से निराश्रित लड़कियों को आसरा दिया जाता है। उनकी शिक्षा, भोजन, कपड़ों की जरूरत पूरी की जाती है। इस कार्य के लिए केंद्र सरकार के एकात्मिक बाल विकास योजना में 75 प्रतिशत और राज्य सरकार की बाल संरक्षण संस्था की ओर से 25 प्रतिशत निधि जारी की जाती है। याचिकाकर्ता के अनुसार निधि की कमी के कारण चिल्ड्रेंस होम की स्थिति दयनीय हो चली है। इसके रख-रखाव पर ध्यान देना भी जरूरी है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद इस मामले में विशेष समिति गठित की थी। समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया था कि यहां बड़ी संख्या में पद खाली होने के कारण ये चिल्ड्रेंस होम अपना उद्देश्य पूरा करते नजर नहीं आ रहे हैं।
Created On :   14 Feb 2019 1:41 PM IST