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कच्ची उम्र की बच्ची की गवाही को हाईकोर्ट ने बताया संदेहजनक
डिजिटल डेस्क,मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने महज 6 साल की बच्ची की गवाही के आधार पर नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी पाए गए एक आरोपी को सुनाई गई पांच साल की सजा पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में कच्ची उम्र की बच्ची को सक्षम गवाह माना जा सकता है कि नहीं। यह संदेहजनक है। इसलिए आरोपी की सजा पर रोक लगाई जाती है और उसे 20 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दी जाती है। साल 2017 के इस मामले में मुंबई की विशेष अदालत ने 1 अप्रैल 2019 को आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354ए व पाक्सों कानून की धारा 10 के तहत दोषी ठहराते हुए पांच साल के कारावास व दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति अनूजा प्रभुदेसाई के सामने आरोपी की अपील पर सुनवाई हुई।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक आरोपी पीड़ित बच्ची के पडोस में रहता था। बच्ची जब आरोपी के घर में गई तो आरोपी ने उसे अपनी गोद में बीठाया और उसके गुप्तांग को स्पर्श किया। मामले की जांच के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया। न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े रिकार्ड व बच्ची के गवाही पर गौर करने के बाद पाया कि बच्ची ने अपने गवाही में एक बार कहा है कि उसे वह घटना याद ही नहीं है जिसके लिए आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। बच्ची की जब मामले को लेकर गवाही हुई तो उस समय उसकी उम्र 6 साल थी। निचली अदालत के न्यायाधीश ने बच्ची से कोई सवाल तक नहीं किया। जिससे बच्ची की समझ व जवाब देने की क्षमता का अंदाजा लगाया जा सके। ऐसे में क्या कच्ची उम्र के बच्चे को सक्षम गवाह माना माना जा सकता है। यह संदेहजनक है। इसलिए आरोपी को सुनाई गई सजा को निलंबित किया जाता है और उसे जमानत पर रिहा किया जाता है।
Created On :   11 Sep 2021 2:18 PM GMT