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रेड लाइट एरिया से पकड़ाई नाबालिग लड़की, उम्र के फैर में फंसी HC के आदेश

डिजिटल डेस्क,नागपुर। रेड लाइट एरिया (गंगा-जमुना) में पकड़ी गई कथित नाबालिग लड़की की कस्टडी के प्रकरण में हाईकोर्ट ने समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं। गुरुवार को नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। कोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक पुलिस ने इस मामले की जांच डीसीपी जोन-1 कृष्णकांत उपाध्याय को सौंपी है। उपाध्याय सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर थे। कोर्ट ने इस पांच सदस्यीय टीम में तीन पुलिसकर्मी, फ्रीडम फर्म एनजीओ का एक प्रतिनिधि और पीड़िता के पिता को शामिल किया है।
राजस्थान जाकर पड़ताल करेगी समिति
कोर्ट ने इस दल को पीड़िता के गांव (बूंदी, राजस्थान) जाकर पीड़िता की उम्र, उसकी तस्करी से जुड़े मामले की पूरी पड़ताल करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने तीन सप्ताह में यह रिपोर्ट मांगी है। मूलत: राजस्थान के बूंदी की निवासी यह पीड़िता नागपुर के गंगा-जमुना क्षेत्र में बेची गई थी। वह बालिग है या नाबालिग, यह स्पष्ट नहीं होने से उसके पिता को उसकी कस्टडी नहीं दी जा रही। बीते मंगलवार को हाईकोर्ट में जब यह मामला सुनवाई के लिए आया, तो कोर्ट ने इस प्रकरण में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सख्त नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को जहां इस मामले की जांच करनी थी, नागपुर पुलिस ने केवल राजस्थान से पीड़िता के दस्तावेज लाकर हाथ झटक लिए। पुलिस ने जांच करने की जगह सिर्फ पोस्टमैन का काम किया है। पीड़िता की उम्र और उसकी पृष्ठभूमि की कोई छानबीन नहीं की, जिसके बाद अब पुलिस सजग हुई है।
यह है याचिका
हाईकोर्ट में फ्रीडम फर्म नामक सामाजिक संगठन ने यह याचिका दायर की है। याचिका में रेड लाइट क्षेत्र से बरामद पीड़िताओं के संरक्षण का मुद्दा उठाया गया है। याचिकाकर्ता के अनुसार पीड़िता नाबालिग है। उसके परिजन उसे बालिग साबित करके उसकी कस्टडी हासिल करने में लगे हैं। पीड़िता को कई वर्ष पहले उसके परिजनों ने बेच दिया था। इसी मानव तस्करी के जाल में फंस कर वह नागपुर के गंगा-जमुना क्षेत्र में पहुंच गई। कुछ वर्ष पूर्व पुलिस और सामाजिक संस्था ने मिलकर यहां छापा मारा। छापे में अन्य लड़कियों के साथ पीड़िता भी पकड़ी गई। इसके बाद उसे अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया। पहली बार मां की अर्जी पर उसे कोर्ट ने छोड़ दिया। कुछ दिन बाद गंगा-जमुना क्षेत्र में दोबारा छापा मारा गया, तो पीड़िता फिर एक बार वहीं से पकड़ी गई। इस बार पीड़िता के पिता की अर्जी के बावदजू कोर्ट ने उसे नहीं छोड़ा। अब मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
पिता के असली होने पर भी संदेह
याचिकाकर्ता ने पीड़िता की कस्टडी उसके पिता को सौंपने का विरोध किया है। इस मामले में यह शख्स पीड़िता का असली पिता है या नहीं, इस पर भी पुलिस को संदेह है। अब इस प्रकरण में गुरुवार को सुनवाई होगी। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड. निहाल सिंह राठोड ने पक्ष रखा। पीड़िता के पिता की ओर से एड.शशिभूषण वहाने ने पक्ष रखा।
Created On :   16 March 2018 12:26 PM IST