भीमा-कोरेगांव हिंसा : मिलिंद की जमानत याचिका खारिज, कभी भी हो सकती है गिरफ्तारी

High Court dismisses Ekbotes bail plea, he can be arrested anytime
भीमा-कोरेगांव हिंसा : मिलिंद की जमानत याचिका खारिज, कभी भी हो सकती है गिरफ्तारी
भीमा-कोरेगांव हिंसा : मिलिंद की जमानत याचिका खारिज, कभी भी हो सकती है गिरफ्तारी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी समस्त हिंदू आघाडी नामक संस्था के संस्थापक मिलिंद एकबोटे की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। इससे पहले पुणे कोर्ट ने एकबोटे की जमानत अर्जी को खारिज किया था। निचली अदालत के आदेश के खिलाफ एकबोटे ने हाईकोर्ट में जमानत आवेदन दायर किया था। अब एकबोटे की गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया। पुलिस उसे कभी भी गिरफ्तार कर सकती है।

बेंच के सामने आवेदन पर हुई सुनवाई
शुक्रवार को जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस भारती डागरे की बेंच के सामने आवेदन पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि भीमा-कोरेगाव जैसी हिंसा को दोनों समुदाय के लोगों को टालने की कोशिश करनी चाहिए थी। पर मौजूदा समय की विडंबना यह है कि बुरी चीजे समाज में तेजी से फैलती हैं। हिंसक आदोलन कर कुछ लोग आम जनता के जीवन को तहस नहस कर देते हैं। कई बार लोग तो क्रिकेट में अपनी हार भी बर्दाश्त नहीं कर पाते है।

भीमा-कोरेगांव हिंसा से 9.67 करोड़ की संपत्ति का नुकसान
इससे पहले सरकारी वकील ने बेंच के सामने कहा कि भीमा-कोरेगांव हिंसा में नौ करोड 67 लाख रुपए का सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ है। मामले की जांच अभी भी जारी है। प्रकरण को लेकर कई प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए गए हैं। इस दौरान बेंच के सामने एकबोटे के हस्ताक्षर वाला पर्चा भी पेश किया गया। जिसे लोगों में बांटा गया था। वहीं एकबोटे की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नितिन प्रधान ने कहा कि मेरे मुवक्किल की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। इस हिंसा को लेकर न तो मेरे मुवक्किल ने कोई बैठक बुलाई थी और न ही कोई भाषणबाजी की थी। वे घटनास्थल पर भी मौजूद नहीं थे। उनकी गिरफ्तारी की मांग राजनीत से प्रेरित है। मेरे मुवक्किल के खिलाफ पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। फिर भी निचली अदालत ने आरोपी को जमानत देने से मना कर दिया।

भड़काऊ भाषण देने सहित एट्रोसिटी कानून के तहत लगे आरोप
निचली अदालत का आदेश नियमों के खिलाफ है। इसलिए इसे रद्द किया जाए। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हुई है। ऐसा पता चला है कि उसने शिवाजी महराज के पोस्टरवाली टी शर्ट पहनी थी, इसलिए वह भीड़ की हिंसा का शिकार हुआ है। प्रधान ने कहा कि यलगार परिषद और गुजरात के कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवानी के भाषण की वजह से हिंसा फैली। गौरतलब है कि एकबोटे के खिलाफ पुणे ग्रामीण पुलिस ने आपराधिक मामला दर्ज किया है। जिसमें उनपर भड़काऊ भाषण देने सहित एट्रोसिटी कानून के तहत आरोप लगाए गए हैं।

Created On :   2 Feb 2018 6:59 PM IST

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