6 साल से जेल में बंद शख्स को हाईकोर्ट ने प्रदान की जमानत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अपराध की गंभीरता और आरोपी के मुकदमे की तेजी से सुनवाई पाने के अधिकार के बीच संतुलन स्थापित करना जरुरी है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक 16 साल के लड़के के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोप में 6 साल से अधिक समय से जेल में बंद एक आरोपी को जमानत प्रदान करते हुए उपरोक्त बात कहीं है। न्यायमूर्ति एम एस कर्णिक ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि आरोपी के खिलाफ दर्ज किए गए अपराध की प्रकृति काफी गंभीर है लेकिन अपराध की गंभीरता का आरोपी के मुकदमे की तेजी से सुनवाई पाने के अधिकार के बीच संतुलन स्थापित किया जाना जरूरी है। वैसे भी यदि आरोपी मुकदमे की सुनवाई के बाद दोषी पाया जाएगा तो आरोपी को उसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।
आरोपी के खिलाफ पवई पुलिस ने नाबालिग लड़के के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने व मोबाइल से उसका वीडियो बनाने के आरोप में 29 अगस्त 2016 को भारतीय दंड संहिता की धारा 377, 506,34 पॉक्सो कानून की धारा 4 ,8,12 के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66ई के तहत एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया था। तब से आरोपी जेल में है। अब तक आरोपी का जमानत आवेदन दो बार खारिज किया जा चुका है। न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि इस मामले में आरोपी को पॉक्सो कानून की धारा 4 के तहत अधिकतम 10 साल के कारावास की सजा हो सकती है लेकिन आरोपी अब तक 6 साल से अधिक समय जेल में बीता चुका है। इसके अलावा कोर्ट के निर्देश देने के बावजूद अब तक विशेष अदालत में इस मामले से जुड़े मुकदमे के सिर्फ 3 गवाहों की गवाही हुई है। जबकि मामले में कुल 25 गवाह है। इसलिए इस मामले की सुनवाई पूरा होने में अभी वक्त लगेगा। इसलिए आरोपी को 25 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दी जाती है। न्यायमूर्ति ने कहा है कि आरोपी कोर्ट की अनुमति के बिना मुंबई से बाहर न जाए। इसके साथ ही मामले से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करें। आरोपी उस इलाके में भी न जाए जहां मामले से जुड़ा पीड़ित रहता है।
Created On :   11 Feb 2023 7:16 PM IST