रामटेक गढ़ मंदिर का जीर्णोद्धार 14 मई तक पूर्ण करने के HC के आदेश

High court order for Restoration of Ramtek Garh Mandir in nagpur
रामटेक गढ़ मंदिर का जीर्णोद्धार 14 मई तक पूर्ण करने के HC के आदेश
रामटेक गढ़ मंदिर का जीर्णोद्धार 14 मई तक पूर्ण करने के HC के आदेश

डिजिटल डेस्क,नागपुर।रामटेक गढ़ मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर बाम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सार्वजनिक लोक निर्माणकार्य विभाग (पीडब्ल्यूडी) को 14 मई तक हर हाल में पूरा करने को कहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जीर्णोद्धार के बीच में कोई भी सरकारी निर्णय या नीति नहीं आएगी। लेकिन इतनी रियायत देने के बाद भी अगर अब विभाग तय सीमा में कार्य पूरा नहीं करता है, तो फिर कोर्ट अवमानना की कार्रवाई करेगा। कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग को पीडब्ल्यूडी को शेष 2 करोड़ 93 लाख रुपए का निधि जारी करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि रामटेक टेकड़ी पर बढ़ रहे खनन और जर्जर होते जा रहे राममंदिर और आश्रमों का मामला प्रकाश में आने के बाद कोर्ट ने इन धरोहरों के संवर्धन के लिए स्वयं जनहित याचिका दायर की है। इनके संवर्धन के लिए कोर्ट समय-समय पर जरूरी आदेश भी जारी कर रहा है। 

निजी कंपनी को सौंपा जिम्मा
गढ़मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए मंजूर निधि पर निर्माणकार्य विभाग के कार्यकारी अभियंता ने अपना शपथ-पत्र सौंपा है। उनके अनुसार, इस कार्य के लिए उन्हें आधुनिक मशीनों और संसाधनों की जरुरत पड़ रही है। इस पूरे कार्य के लिए 7 करोड़ 95 लाख 11 हजार 865  मंजूर किए गए हैं, जिसमें से पुरातत्व विभाग ने 5 करोड़ 80 लाख रुपए आवंटित कर दिए हैं। 2 करोड़ 92 लाख रुपए आना बाकी है। उन्होंने कोर्ट को बताया पीडब्ल्यूडी विभाग ने इस कार्य का जिम्मा एक निजी कंपनी को दिया था, लेकिन विविध सरकारी विभागों के  गैर आपत्ति प्रमाण-पत्र  समय पर ना मिलने से कार्य पूरा करने में देर हुई है। इसके बाद कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए हैं। 

दिनोंदिन बिगड़ रही थी हालत 
रामटेक गढ़मंदिर विदर्भ के प्रसिद्ध दार्शनिक स्थलों में से एक है। पौराणिक महत्व का राममंदिर, अगस्त्य ऋषि का आश्रम, कालिदास स्मारक जैसे कई आकर्षण हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को यहां खींच लाते है। मगर बीते कुछ वर्षों से इस परिसर की स्थिति बिगड़ती जा रही थी। पहाड़ी पर अवैध खनन बढ़ गया था। दार्शनिक स्थल जर्जर होते जा रहे थे। प्रशासनिक लापरवाही का शिकार यह स्थल अपना अस्तित्व खोने की कगार पर था। यह मामला स्थानिय समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने स्वयं इसका संज्ञान लिया था। कोर्ट ने इस मामले में स्वयं जनहित याचिका दायर की थी। मामले में एड.आनंद जैयस्वाल न्यायालीन मित्र की भुमिका में है। नगर परिषद की ओर से एड.महेश धात्रक ने पक्ष रखा। 
 

Created On :   23 March 2018 1:28 PM IST

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