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हाईकोर्ट ने कहा- सरकार डॉक्टरों को आकर्षित करने की योजना बनाए
डिजिटल डेस्क,मुंबई । बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार ऐसी योजना बनाए जो डाक्टरों को ग्रामीण व आदिवासी इलाकों में काम करने के लिए आकर्षित कर सके। न्यायमूर्ति नरेश पाटील व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने मेलघाट व राज्य के अन्य आदिवासी इलाकों में कुपोषण के चलते हो रही बच्चों के मुद्दे को लेकर दायर कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। इससे पहले हाईकोर्ट ने पाया कि राज्य के कई चिकित्सा केंद्रों पर जरुरी सुविधाएं नहीं है कई जगहों पर तो डाक्टर भी नहीं उपलब्ध हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि सरकार ऐसी योजना बनाए जो डाक्टरों को ग्रामीण व आदिवासी इलाकों में काम करने के लिए आकर्षित कर सके। हम यह नहीं कह रहे है कि डाक्टरों को घने जंगलों में काम पर लगाया जाए लेकिन ग्रामीण इलाकों में ऐसी जगह पर डाक्टर उपलब्ध हो जहां लोग अासानी से पहुंच सके।
खंडपीठ ने कहा कि जब डाक्टरों को पता है कि जिस जगह उन्हें भेजा जा रहा वहां पर पेयजल व शौच के लिए टायलेट जैसी बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं है, तो ऐसी जगह पर कोई क्यों जाना चाहेगा? जबकि शहरी इलाकों में ऐसा नहीं है। इसलिए सरकार ऐसी योजना बनाए कि डाक्टर आदिवासी इलाकों में काम करने के लिए आकर्षित हो और उन्हें यह पता हो कि यदि वे आदिवासी इलाके में काम करेगे तो उन्हें भविष्य में लाभ मिलेगा। क्योंकि युवा प्रोफेशनल डाक्टर सिर्फ अपने कैरियर पर फोकस करते हैं।
दूसरे राज्य के डाक्टरों की हो भर्ती
खंडपीठ ने कहा कि यदि महाराष्ट्र में डाक्टरों की कमी हो तो सरकार दूसरे राज्य के डाक्टरों को यहां नियुक्त करने पर विचार करे और नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय स्तर पर विज्ञापन जारी करे। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि सरकार कार्पोरेट जगत से भी इस विषय पर सहयोग ले और उनकी मदद से आदिवासी इलाकों में चिकित्सा शिविर आयोजित करे। खंडपीठ ने कहा कि सरकार की ओर से आयोजित होनेवाले चिकित्सा शिविरों में शामिल होनेवाले डाक्टरों के भत्ते व मानधन को भी बढाने पर विचार किया जाए। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 19 जून तक के लिए स्थगित कर दी और अगली सुनवाई के लिए राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को पैरवी के लिए बुलाया है।
Created On :   11 Jun 2018 2:08 PM GMT