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सरकार और नर्सिंग काउंसलिंग को हाईकोर्ट का आदेश- बगैर अनुमति नए नर्सिंग कॉलेजों को मंजूरी न दें

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर बेंच ने राज्य सरकार और नर्सिंग कॉउन्सिल को आदेश दिए हैं कि वे कोर्ट की अनुमति के बगैर प्रदेश में किसी भी नए नर्सिंग कॉलेज को मंजूरी न दें। हाइकोर्ट में पवन बहुउद्देशीय शिक्षण व सामाजिक विकास संस्था, वर्धा ने याचिका दायर करके राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वे बगैर किसी प्रोस्पेक्टिव प्लान के राज्य में नर्सिंग कॉलेजों को अनुमति दे रही है। 13 जुलाई 2018 को सरकार ने जीआर निकाल कर न्यू महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ नर्सिंग एंड पैरानॉर्मल एजुकेशन को नए नर्सिंग कॉलेजों को अनुमति देने, उनकी वर्ग संख्या बढ़ाने पर फैसला लेने के अधिकार दिए थे। वर्ष 2013 में सरकार ने इस बोर्ड की स्थापना की थी। इस वजह से नर्सिंग अधिनियम 1966 में संशोधन किया गया।
धड़ल्ले से नए कालेजों के खुलने से शिक्षा का स्तर गिरा
नए संशोधनों में बगैर किसी क्षेत्र की जनसंख्या का ध्यान रखे नर्सिंग कॉलेजो को मंजूरी दी जा रही है। बगैर प्रोस्पेक्टिव प्लान के जो धड़ाधड़ नये कॉलेजों को मंजूरी दी जा रही है, उससे नर्सिंग शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। सरकार ने 13 जुलाई को जो जीआर निकला, याचिका में इस जीआर को चुनौती दी गयी है।याचिकाकर्ता का पक्ष सुन कर हाइकोर्ट ने राज्य चिकित्सा शिक्षा विभाग, द इंडियन नर्सिंग कॉउन्सिल व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
नए संशोधन का भी विरोध
याचिका में नए संशोधन पर आपत्ति जताई गई है। तर्क है कि सरकार ने महाराष्ट्र मेडिकल कॉउन्सिल से ये अधिकार छीन कर बोर्ड को सौंप दिए है। नए संशोधन पर राष्ट्रपति से अनुमति भी नही ली गयी है। 2012-2017 की बीच पुरानी नीति में कॉलेजों को अनुमति देने के लिए प्रोस्पेक्टिव प्लान था। जिसमें क्षेत्र की जनसंख्या के अनुसार कॉलेजो को अनुमति देने का प्रावधान था। लेकिन नया जीआर लागू होने के बाद यह अनिवार्यता हटा दी गयी। याचिका में इसका विरोध किया गया है।
Created On :   25 Sept 2018 3:51 PM IST