कुपोषण से बच्चों की मौत का मुद्दा, हाईकोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार

High Court rebukes the government On the issue of malnutrition
कुपोषण से बच्चों की मौत का मुद्दा, हाईकोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार
कुपोषण से बच्चों की मौत का मुद्दा, हाईकोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कुपोषण से बच्चों की मौत के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि खुद को पड़ोसी राज्यों से बेहतर बताने की बजाय सरकार गर्व से कहे कि उसके यहां कुपोषण के चलते बच्चों की मौत नहीं होती। आंकड़ों को जानने के बाद कोर्ट ने कहा कि कल्याणकारी राज्य होने के मतलब बड़ी-बड़ी इमारतें और सड़के बनाना नहीं, बल्कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और भोजन देना है।

प्राथमिकता सूची पेश करने को कहा
 
मुख्य न्यायाधीश मंजूला चिल्लूर और न्यायमूर्ति नितिन जामदार की खंडपीठ ने मेलघाट, अमरावती सहित आदिवासी इलाकों में कुपोषित बच्चों की मौत के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान कहा। जिसकी अगली सुनवाई में याचिकाकर्ता को आदिवासी इलाकों की जरुरतों की प्राथमिकता सूची पेश करने को कहा है। जिसके आधार पर जरुरी निर्देश जारी किए जा सकें। 

सरकारी वकील का दावा

इससे पहले सरकारी वकील नेहा भिडे ने कहा आदिवासी इलाकों में बच्चों की मौत कई बार जानकारी के अभाव में होती है। सरकार ने कई कदम उठाए है। पड़ोसी राज्यों की तुलना हमारे यहां पर कुपोषण के चलते बच्चों की मौत का आकड़ा काफी कम है। हम दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर है

नागपुर में 951 बच्चों की मौत

याचिकाकर्ता बंदु साने के मुताबिक सूबे में सलाना 75 हजार बच्चों की मौत होती है। साल 2016 - 17 में नंदुरबार में 946, मेलघाट में 687, नागपुर में 951, चंद्रपुर में 414 और नाशिक में 465 बच्चों की मौत हुई है। इसके अलावा कुछ इलाकों में तो बच्चों के डॉक्टर  ही नहीं है। प्रसूती के लिए भी डॉक्टर नहीं होते, सोनोग्राफी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। बहरहाल मामले की सुनवाई 9 अक्टूबर तक स्थगित कर दी गई है।

Created On :   4 Oct 2017 8:15 PM IST

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