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हाईकोर्ट ने कहा- बैंक खाते में "नॉमिनी' की भूमिका ट्रस्टी जैसी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बैंक खाताधारकों के "नॉमिनी" को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने हाल ही में एक अहम आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बैंकिंग अधिनियम के तहत नामांकन एक हितकारी सुविधा है। बैंकों का यह कानूनी कर्तव्य है कि वे नामांकन के आदेश का पालन करें। हाईकोर्ट ने नामांकन के उद्देश्य पर अधिक प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी व्यक्ति का बैंक खाते में नामांकन करना उसे रकम या संपत्ति का अधिकारी नहीं बना देता। बल्कि जिस व्यक्ति का नामांकन किया गया है, उसका काम एक ट्रस्टी की तरह होता है। उसका कर्तव्य होता है कि उस रकम या संपत्ति को उसके सही हकदारों में आवंटित करे।
मामला कुछ इस प्रकार है : याचिकाकर्ता दिलीप मिगलानी नागपुर के रामदासपेठ स्थित एसबीआई बैंक में मैनेजर के रूप में कार्यरत थे। तब बैंक में एक व्यक्ति जिसके 6 विविध खाते थे, का निधन हो गया। इसके पहले से खाता धारक ने अपने बेटे को नॉमिनी बना रखा था। खाताधारक के निधन के बाद उनके बेटे ने पिता का मृत्यु प्रमाण-पत्र बैंक में प्रस्तुत किया। बैंक ने अपनी प्रक्रिया पूरी करके खाते में जमा रकम बेटे के नाम स्थानांतरित कर दी, लेकिन इस रकम स्थानांतरण पर दूसरे पक्ष ने आपत्ति ली। बैंक द्वारा मृतक के बेटे को रकम देने के खिलाफ जेएमएफसी न्यायालय में शिकायत की गई। जेएमएफसी न्यायालय ने शहर के सीताबर्डी पुलिस थाने को जांच करके मामला दर्ज करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता उस वक्त बैंक के प्रमुख थे, ऐसे में उनके खिलाफ 409, 420, 468 व 471, 34 के तहत मामला दर्ज किया, जिसे खारिज करने के लिए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने माना कि मामले में बैंक मैनेजर को धोखाधड़ी का आरोपी बनाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है। एक बार नामांकन होने पर उसका पालन करने का कर्तव्य बैंक का है। मामले में सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने मामला खारिज करने का आदेश जारी किया है।
Created On :   30 Sept 2022 3:23 PM IST