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कैदियों की रिहाई पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि क्या कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर कैदियों की रिहाई के लिए बनाई गई उच्चाधिकार समिति के निर्देशों को राज्य की सभी जेलों के अधिकारियों को भेजा गया है। न्यायमूर्ति पी डी नाईक ने सरकारी वकील को इस संबंध में 23 अप्रैल तक अपना जवाब देने को कहा है। दरअसल राज्य के जेलों में बंद कैदियों को कोरोना के प्रकोप से बचाने के लिए अधिवक्ता सतीश तलेकर ने हाईकोर्ट को एक निवेदन भेजा था।
हाईकोर्ट ने इस निवेदन का स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे याचिका में परिवर्तित किया है। निवेदन में कहा गया है जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा गया है। राज्य की जेलों में 30 हजार विचाराधीन कैदियों को रखा गया है। इसके अलावा भारी संख्या में सजायाफ्ता कैदी भी हैं। निवेदन में मांग की गई है कि जेल में कैदियों की स्थिति को देखने के लिए एक कमेटी गठित की जाए। जो यह देखे की कितने कैदियों को फिलहाल अंशकालिक समय के लिए जमानत, फरलो, पैरोल व अन्य कानूनी विकल्पों के जरिए जेल से रिहा किया जा सकता है। क्योंकि यदि जेल मे किसी एक कैदी को कोरोना का संक्रमण हुआ तो काफी संख्या में लोग इससे प्रभावित हो सकता है। श्री तलेकर ने यह निवेदन कोरोना को लेकर कैदियों के विषय मे सुप्रीम कोर्ट की ओर से सभी राज्यों की राज्य सरकारों को जारी निर्देशों को आधार बनाकर भेजा था।
न्यायमूर्ति नाईक ने याचिका के रुप में परिवर्तित निवेदन पर गौर करने के बाद सरकारी वकील से कैदियों को लेकर जानकारी मांगी। इस पर सरकारी वकील ने कहा कि उनके पास याचिका की प्रति नहीं है। इसलिए उन्हें याचिका की प्रति उपलब्ध कराई जाए और सरकार से निर्देश लेने के लिए समय दिया जाए। इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि क्या कैदियों के मुद्दों को देखने के लिए बनाई गई कमेटी के निर्देश व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की प्रति राज्य के सभी जेल के अधिकारियों को भेजी गई है। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने मामले की सुनवाई 23 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।
Created On :   17 April 2020 5:17 PM IST