शिक्षामंत्री तावडे से हाईकोर्ट ने पूछा- विपक्ष में रहते मुंबई बैंक में क्यों नजर आती थी खामी 

High Court shown mirror to  states school education minister
शिक्षामंत्री तावडे से हाईकोर्ट ने पूछा- विपक्ष में रहते मुंबई बैंक में क्यों नजर आती थी खामी 
शिक्षामंत्री तावडे से हाईकोर्ट ने पूछा- विपक्ष में रहते मुंबई बैंक में क्यों नजर आती थी खामी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री विनोद तावडे को आईना दिखाया है। अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों का वेतन भाजपा विधायक प्रविण दरेकर की अध्यक्षता वाले मुंबई जिला सहकारी बैंक में भेजे के मामले में अदालत ने तावडे को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि विपक्ष के नेता पद पर रहते तावडे को जिस बैंक में खामिया नजर आती थी, शिक्षामंत्री बनने के बाद इनका नजरिया कैसे बदल गया। इस मामले को लेकर शिक्षक भारती व अन्य शिक्षक संगठनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

शिक्षकों का वेतन मुंबई बैंक में भेजने का शासनादेश किया रद्द
याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद जस्टिस भूषण गवई व जस्टिस बीपी कुलाबावाला की बेंच ने कहा कि साल 2013 में जब मौजूदा स्कूली शिक्षा मंत्री तावडे विधान परिषद में विपक्ष के नेता थे तो उन्होंने इस बैंक में काफी गड़बड़ी व धांधली होने के आरोप लगाए थे। यहीं नहीं बैंक के खिलाफ राज्यपाल तक को शिकायत की थी। यह हमारी समझ से परे है कि श्री तावडे के शिक्षा मंत्री बनने के बाद बैंक कैसे बेहतर हो गया और कैसे उसकी गड़बड़िया दूर हो गई। बेंच ने स्पष्ट किया कि उनकी इस टिप्पणी को बैंक के संबंध में न देखा जाए।

कोर्ट की टिप्पणी
बेंच ने कहा कि प्रशासकीय व सरकार के नीतिगत मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप की बेहद कम गुंजाइश होती है। लेकिन जब सरकार का निर्णय अतार्किक और युक्तिसंगत न हो तो अदालत इसमें हस्तक्षेप कर सकती है। यह कहते हुए बेंच ने सरकार की ओर से 3 जून 2017 को शिक्षकों के वेतन से जुड़ा पूल अकाउंट यूनियन बैंक की बजाय मुंबई बैंक में खोलने को लेकर जारी किए गए शासनादेश को खारिज कर दिया।

सरकार के निर्णय में किसी का हित नहीं था
बेंच ने कहा कि खाता स्थानांतारित करने के संबंध में स्कूली शिक्षा विभाग की ओर से लिए गए निर्णय में न तो कर्मचारियों का हित नजर आ रहा है और न ही यह निर्णय युक्तिसंगत दिख ई देता है। प्रसंगवश बेंच ने कहा कि हमने कई सहकारी बैंकों को दिवालिया होते देखा है। इन बैंकों ने अपने खाताधारकों के पैसे भी नहीं लौटाए। ऐसे में राष्ट्रीयकृत बैंक में शिक्षकों के वेतन के लिए खोले गए पूल अकाउंट को अचानक बदलने के निर्णय में कुछ भी तार्किक नजर नहीं आता। बेंच ने कहा कि सरकार जैसे अपने सारे सरकारी कर्मचारियों के हित का ध्यान रखती है, वैसे ही शिक्षकों का भी ख्याल रखे। 

खाते को ट्रांसफर करने से जुड़ा निर्णय

इससे पहले राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि सरकार ने सहकारिता क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से खाते को ट्रांसफर करने से जुड़ा निर्णय लिया है। इसके अलावा सरकार ने कर्मचारियों के हित को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है। बेंच ने राज्य के महाधिवक्ता की दलीलों को अस्वीकार करते हुए शिक्षकों का पूल अकाउंट यूनियन बैंक में कायम रहेगा निर्णय सुनाया।  

Created On :   9 Feb 2018 10:02 PM IST

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