शिक्षकों का तबादला : हाईकोर्ट ने सरकारी नीति को बताया एकतरफ़ा, लगाई रोक

high court stayed on teachers transfer policy of government
शिक्षकों का तबादला : हाईकोर्ट ने सरकारी नीति को बताया एकतरफ़ा, लगाई रोक
शिक्षकों का तबादला : हाईकोर्ट ने सरकारी नीति को बताया एकतरफ़ा, लगाई रोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। यदि सरकार की नीति भेदभावपूर्ण, अतार्किक व मनमानीपूर्ण होगी तो अदालत उसमें हस्तक्षेप कर सकती है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह बात स्कूली शिक्षकों के तबादले से जुड़े एक शासनादेश पर रोक लगाते हुए कही। जस्टिस बीआर गवई व जस्टिस संदीप शिंदे की बेंच के समक्ष ऐसी कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है, जिसमें  शिक्षकों के तबादले से संबंधित 12 सितंबर 2017 के शासनादेश को चुनौती दी गई है। याचिका में 12 सितंबर 2017 को जारी शासनादेश को फरवरी 2017 के शासनादेश के विपरीत बताया गया है। याचिका पर गौर करने के बाद बेंच ने कहा, जब हाईकोर्ट ने सरकार के फरवरी के शासनादेश को सही ठहराया था तो फिर नया शासनादेश जारी क्यों किया गया? 

यह कहा याचिका में

याचिका में कहा गया है कि सितंबर का शासनादेश अधिकारियों को तबादले के लिए मनमाने तरीके से शिक्षकों का चुनाव करने की अनुमति देता है। याचिका में साफ किया गया था कि हाईकोर्ट की मुंबई व औरंगाबाद की बेंच ने सरकार की ओर से फरवरी में जारी किए गए शासनादेश को वैध ठहराया था और उसे तुरंत लागू करने का निर्देश दिया था।

यह भी कहा 

बेंच ने कहा, आमतौर पर अदालत सरकार की नीति से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप करने से बचती है, क्योंकि नीति से जुड़े विषय सरकार के क्षेत्राधिकार में आते हैं। परंतु यदि सरकार की नीति मनमानी, भेदभावपूर्ण व अतार्किक हो तो न्यायालय उसमें हस्तक्षेप कर सकती है। 

  • कोर्ट शक्तिविहीन नहीं हो सकती। सरकार का सितंबर का शासनादेश प्रथम दृष्टया भेदभावपूर्ण नजर आता है।
  • यह संविधान के अनुच्छेद 14 के विपरीत है। जबकि 27 फरवरी 2017 का शासनादेश पूरी तरह से निष्पक्ष है। 
  • सरकार फरवरी 2017 के शासनादेश को लागू करने के लिए स्वतंत्र है।

Created On :   24 Oct 2017 5:15 PM IST

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