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लॉकडाउन को मजाक बनाने वाली याचिका पर होईकोर्ट नाराज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरोना के चलते पैदा हुई राष्ट्रीय आपदा जैसी स्थिति का मजाक बनाने के लिए एक कारोबारी को कड़ी फटकार लगाई है। केंद्र सरकार की ओर से घोषित तालेबंदी (लॉकडाउन) के चलते आर्थिक नुकसान झेल रहे पुणे के मोबाइल फोन विक्रेता सिद्धार्थ भगत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि सरकार ने बगैर किसी ठोस तैयारी के लॉकडाउन को लागू कर दिया है जिसके चलते उसे भारी वित्तीय नुकसान झेलना पड़ रहा है। याचिका में दावा किया गया था कि लोग स्वेच्छा से कोरोना को लेकर राज्य व केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए दिशा निर्देशों का पालन कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को 144 धारा को लागू नहीं करना चाहिए था। क्योंकि पुलिस मनमाने तरीके से अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर रही है और आवश्यक वस्तुओं के अलावा दूसरी दुकानों को बर्बरतापूर्ण ढंग से बंद करा रही है। जबकि लोग स्वयं अपनी दुकान बंद करने की पहल कर रहे हैं। इस लिहाज से लॉकडाउन का निर्णय काफी कठोर है।
याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कोरोना के मरीजों का इलाज करने में लगे डॉक्टरों व दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों के सम्मान में ताली बजाने की अपील की सराहना की गई थी लेकिन यह भी कहा गया था कि ताली बजाने के लिए लोगों की भीड़ जमा होने की चलते प्रधानमंत्री की अपील पर पानी फिर गया। याचिका के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान कोरोना के मामलों में 10 से 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। क्योंकि कई लोग छोटे से घर में इकट्ठा रहते हैं। जिससे कोरोना के मामले बढ़े हैं। न्यायमूर्ति ए एम बदर के सामने कारोबारी की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान कारोबारी ने स्वयं अपना पक्ष रखते हुए लॉकडाउन के चलते हो रहे नुकसान के बारे में न्यायमूर्ति को जानकारी दी। जबकि सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया।
उन्होंने ने कहा कि कोरोना के प्रसार व संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने व्यापक जनहित में लॉक डाउन घोषित किया है। यह याचिका आधारहीन है। लोगों में इस तरह की याचिका दायर करने में भय हो इसलिए याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया जाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने व याचिका पर गौर करने के बाद याचिका को आधारहीन पाया औऱ कहा कि याचिकाकर्ता कोरोना के चलते पैदा हुई राष्ट्रीय आपदा जैसी स्थिति का मजाक बनाना चाहता है। हम याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाएंगे। न्यायमूर्ति के कड़े रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि लॉक डाउन के चलते उसे बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है। इसलिए वह अपनी याचिका वापस लेने को तैयार है। इस दौरान उसने कोर्ट से माफी भी मांगी। इसके बाद न्यायमूर्ति ने याचिकाको खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता जुर्माना नहीं लगाया।
Created On :   6 April 2020 4:56 PM IST