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‘गृहिणी है परिवार का आधार स्तंभ’ -हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया आदेश में भारतीय परिवार में गृहिणी के महत्व को परिभाषित किया है। न्या. अनिल किल्लोर की खंडपीठ ने यह माना है कि जब परिवार की गृहिणी की बात होती है, तो उसे सबसे उपेक्षित समझा जाता है, जबकि वह ही सबसे महत्वपूर्ण होती है। शब्दकोष के अनुसार "हाउस वाइफ" शब्द की परिभाषा है एक ऐसी स्त्री, जिसे घर के बाहर काम नहीं मिलता और वो घर में ही चूल्हा-चौका करती है, जबकि वास्तविकता है कि एक गृहिणी परिवार का आधार स्तंभ होती है। वह परिवार को भावनात्मक रूप से संभाले रखती है। पति का सबसे मजबूत सहारा और बच्चों की मार्गदर्शक होती है।
श्रम से नहीं आंक सकते : गृहिणी 24 घंटे सातों दिन काम करती है। उसके योगदान को काम के घंटों, श्रम या वेतन के मायनों में आंका नहीं जा सकता। दरअसल यह मामला दुर्घटना के इंश्योरेंस से जुड़ा था। अमरावती निवासी रामभाऊ गवई अपने परिवार के साथ 31 मार्च 2005 को निजी वाहन से यात्रा कर रहे थे। दुर्घटना में उनकी पत्नी बेबीबाई का निधन हो गया था। यातायात नियमों के उल्लंघन का हवाला देकर ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी ने उन्हें प्रतिपूर्ति देने से इंकार कर दिया था, जिससे गवई ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। न्यायालय ने उक्त निरीक्षण के साथ इंश्योंरेंस कंपनी को आदेश दिए कि वे पीड़ित परिवार को 8 लाख 22 हजार रुपए 6% ब्याज के साथ अदा करे।
Created On :   28 Sept 2020 3:32 PM IST