मौसमी बीमारियों के कसते शिकंजे के बीच खुद को और बच्चों को कोरोना की थर्ड वेव से कैसे बचाएं?

How to protect yourself and children from the third wave of corona amidst the tightening clutches of seasonal diseases?
मौसमी बीमारियों के कसते शिकंजे के बीच खुद को और बच्चों को कोरोना की थर्ड वेव से कैसे बचाएं?
Exclusive Interview मौसमी बीमारियों के कसते शिकंजे के बीच खुद को और बच्चों को कोरोना की थर्ड वेव से कैसे बचाएं?

डिजिटल डेस्क, इंदौर। कोरोना की दूसरी लहर गुजर चुकी है। लॉकडाउन खुलने के साथ साथ लोग भी अब रिलैक्स होते जा रहे हैं। उत्सवी मौसम में कोरोना गाइडलाइन्स के पालन में भी सुस्ती नजर आ रही है। पर, तीसरी लहर का खतरा अब भी बरकरार है। इस लहर में अपनी सावधानी और अपना मास्क ही बचाव है। वैक्सीनेशन के बाद भी ये कॉन्फिडेंस भारी पड़ सकता है कि अब हमें कुछ नहीं होगा। खासतौर से बच्चे जिनके लिए वैक्सीन अभी आई ही नहीं है, उन्हें इस लहर से बचा कर रखना बड़ों की ही जिम्मदारी है। तीसरी लहर से बचने और अपनों को बचाए रखने के लिए क्या करें ये जानिए मध्यप्रदेश के वरिष्ठ श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेंद्र मालवीय से। इंदौर के जानेमाने डॉ. मालवीय दूसरी लहर के दौरान सैकड़ों मरीजों का इलाज कर चुके हैं। इसके अलावा जरूरतमंद रोगियों की भी अपने स्तर पर मदद करते रहे हैं। 

भास्कर हिंदी: क्या भारत में कोरोना वायरस की तीसरी लहर आ चुकी है?
डॉ. योगेंद्र मालवीय: वर्ल्ड की करीब 12 देशों में तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है। केरल, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी कुछ केसेस नोटिस किए जा चुके हैं।

भास्कर हिंदी: तीसरी लहर कितनी खतरनाक होगी?
डॉ. योगेंद्र मालवीय: साइंटिस्ट और रिसचर्स ये जानने में जुटे हैं कि डेल्टा वायरस का संक्रमण कितनी तेजी से फैलेगा। इस पर अनुसंधान जारी है। पर अब तक अस्पतालों में ज्यादा सीरियस केस आना शुरू नहीं हुए हैं। एक चायनीज स्टडी हुई है जिसका निष्कर्ष ये है कि डेल्टा वायरस का संक्रमण कम तेजी से फैलता है। 

भास्कर हिंदी:  क्या तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे?
डॉ. योगेंद्र मालवीय: ऐसा अभी दावे से बिलकुल नहीं कहा जा सकता कि तीसरी लहर बच्चों को ही प्रभावित करेगी। केरल में जो डेल्टा वायरस के केस मिले हैं। वो बड़ों में मिले हैं। इसलिए ये कहना उचित नहीं होगा कि सिर्फ बच्चों में ही ये संक्रमण फैलेगा। बच्चों की वैक्सीन नहीं है इसलिए उनकी फिक्र ज्यादा करने की जरूरत है, बस।

भास्कर हिंदी: माता पिता दोनों वैक्सीनेटेड हैं, तो बच्चों को तीसरी लहर में कितना सेफ माना जा सकता है?
डॉ. योगेंद्र मालवीय: सबसे पहले तो लोगों को ये समझना होगा कि वैक्सीनेशन इस बात की गारंटी नहीं देता कि उन्हें अब संक्रमण नहीं होगा। चूंकि वायरस म्यूटेट हो रहा है। ये बात जरूर है कि जो लोग वैक्सीनेटेड हैं उन्हें संक्रमण होने पर उसकी गंभीरता कम हो सकती है। इसलिए बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए सारे प्रिकॉशन लेना जरूरी हैं। भले ही माता पिता दोनों ही टीका क्यों न लगवा चुके हों। 

भास्कर हिंदी: वैक्सीन लगने के बाद भी क्या क्या सावधानियां रखनी होंगी, लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है?
डॉ. योगेंद्र मालवीय: ये सही बात है कि वैक्सीन के बाद भी संक्रमण को नकारा नहीं जा सकता। क्योंकि वैक्सीनेशन पुराने वायरस यानि कि डेल्टा वायरस से पहले आए वायरस के लिए था। पर वैक्सीनेशन ने काफी हद तक इम्युनिटी तो दी ही। पर डेल्टा वायरस और डेल्टा प्लस पर इसके असर के बारे में अभी ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता। इसलिए जैसी सावधानी पहले रखते रहे हैं। वैसी ही सावधानी आगे बरतते रहना जरूरी है। 

भास्कर हिंदी: खासतौर, से जिन बच्चों को वैक्सीन नहीं लग सकी है। उन्हें क्या सावधानियां रखनी होंगी?
डॉ. योगेंद्र मालवीय: बच्चे ज्यादा रिस्क पर रहेंगे, क्योंकि उनके लिए अब तक वैक्सीन नहीं है। उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग की आदत डालें। मास्क यूज करते रहना जरूरी है। और सेनिटाइजेशन का भी पूरा ध्यान रखा जाए। ये सावधानी ही बच्चों के लिए फिलहाल असल बचाव है।

भास्कर हिंदी: हर्ड इम्युनिटी के लिए कितनी आबादी को वैक्सीनेट करना जरूरी है?
डॉ. योगेंद्र मालवीय: हर्ड इम्युनिटी तब मानी जाती है जब किसी एरिया की 60 से 70 प्रतिशत तक पॉपुलेशन इनफेक्टेड होकर इम्यूनिटी डेवलेप कर चुकी हो। या फिर वैक्सीनेट हो चुकी है । पर अभी भारत में वैक्सीनेशन ये आंकड़ नहीं छू सका है। इसलिए ये नहीं कहा जा सकता कि भारत में हर्ड इम्यूनिटी हो चुकी है। 

भास्कर हिंदी: क्या कोरोना की मिक्स डोज लेना सही है?
डॉ. योगेंद्र मालवीय: अभी इस बारे में रिसर्च जारी है कि वैक्सीन का मिक्स डोज लेना फायदेमंद होगा या नहीं। इस मामले में सीरम सर्वे भी चल रहा है। कुछ मामले ऐसे भी आए हैं कि किसी वैक्सीन का डोज लेने के कुछ समय बाद उसका असर धीरे धीरे कम हो रहा है। वैसे ये व्यक्ति की खुद की इम्यूनिटी पर भी निर्भर करता है। फिलहाल इस बारे में कोई गाइडलाइन नहीं आई है। 

भास्कर हिंदी: मौसम भी ऐसा है जब मौसमी बीमारियां ज्यादा होती हैं, ऐसे में कैसे पहचाने की आम बुखार है या कोरोना
डॉ. योगेंद्र मालवीय: सही बात है, इन दिनों ओपीडी में मौसमी बीमारियों के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। मौसमी बुखार होना स्वाभाविक है। सांस लेने में तकलीफ, बुखार, सर्दी खांसी तेजी से फैल रहे हैं। ऐसे हालात में जरूरी है कि सब पल्स ऑक्सीमीटर अपने पास जरूर रखें। और अगर लगता है कि शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो रही है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। लापरवाही न करें। 

भास्कर हिंदी: क्या तीसरी लहर के दौरान किसी को कोरोना हुआ तो उसे डेल्टा या डेल्टा वेरिएंट ही माना जाएगा?
डॉ. योगेंद्र मालवीय: ऐसा नहीं है। वर्तमान में या तीसरी लहर के दौरान किसी व्यक्ति को कोरोना होता है तो वो डेल्टा या डेल्टा प्ल्स वैरिएंट ही होगा ये कहना गलत होगा। ये जांच या जीन सीक्वेंसिंग के बाद ही पता चलेगा कि मरीज को कोरोना वायरस के किस स्वरूप का संक्रमण हुआ है। सबसे पहले ये जरूरी है कि लोग कोरोना से बचने के लिए जिस तरह पहले सजग थे वैसी ही सजगता अब भी बनाए रखें। 

नोट- ये जानकारी भास्कर हिंदी की संपादक जूही वर्मा से खास बातचीत पर आधारित है।

Created On :   17 Aug 2021 11:46 AM GMT

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