मानवाधिकार का हो रहा उल्लंघन, निपटना बड़ी चुनौती

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मानवाधिकार का हो रहा उल्लंघन, निपटना बड़ी चुनौती

डिजिटल डेस्क, नागपुर । मानवाधिकार का उल्लंघन आज के समय में अंतरराष्ट्रीय चुनौती बन चुका है। हर पल, हर समय कहीं न कहीं मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है। इसे रोकने, संरक्षण देने और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए सरकारों और संस्थाओं द्वारा काफी प्रयास किए जा रहे हैं, फिर भी आज विश्व आबादी का एक बड़ा हिस्सा है, जो अपने अधिकारों से अनभिज्ञ है। उसे अपने अधिकारों की जानकारी नहीं है। पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत में तमाम संस्थाएं हैं, जो मानवाधिकार के लिए काम कर रही हैं। उन्हीं में से एक शहर की संस्था है "मानव अधिकार संरक्षण मंच", जो मानवाधिकारों के लिए न केवल जागरूकता फैला रही है, बल्कि लोगों के अधिकारों को दिलाने के लिए लड़ भी रही है।
लोग जागरूक हो रहे हैं

संस्था के सचिव आशीष फुलझेले ने बताया कि मानवाधिकार संरक्षण मंच की स्थापना 7 वर्ष पूर्व हुई है। शहर में संस्था के 500 से 600 सदस्य काम कर रहे हैं, जो समय-समय पर लोगों की समस्या का समाधान करते हैं, व उन्हें अधिकारो के लिए जागरूक कर रहे हैं।  संस्था में भोजन के, स्वास्थ्य के, शिक्षा के अधिकार, महिला सुरक्षा, जाति, धर्म और संप्रदाय के नाम पर होने वाले उत्पीड़न के काफी मामले दर्ज किए गए हैं। जागरूकता बढ़ने की वजह से लोग अब अपने अधिकारों के संरक्षण के प्रति कहीं ज्यादा सजग हो गए हैं। लोगों के इन्हीं मूलभूत अधिकारों के संरक्षण का काम करते हैं।

जानिए आखिर क्या हैं मौलिक अधिकार?
मौलिक अधिकार मानव के उन अधिकारों को कहते हैं, जो देश के संविधान द्वारा हर व्यक्ति को प्रदान किए जाते हैं। इन कानूनों मेंं राज्य सरकारें हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं। मौलिक अधिकार व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिये अत्यंत ही आवश्यक हैं। इनके बिना मनुष्य अपना पूर्ण विकास नहीं कर सकता। उल्लेखनीय है कि आज भी लोग अपने मूल अधिकारों के बारे में नहीं जानते हैं, जिससे वे शोषण का शिकार होते हैं। मूलत: मानव अधिकार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दी गई है, जो विश्व के सभी हिस्सों में लागू होता है। मौलिक अधिकार किसी भी देश द्वारा तय किए जाते है ंऔर वो देश के अंदर ही लागू होते हैं।

सजा का प्रावधान है
मानवाधिकार यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव या अमानवीय कृत्य न हो।  इन अधिकारों में प्रदूषण मुक्त वातावरण में जीने का अधिकार, पुलिस कस्टडी में यातना, अपमानजनक व्यवहार न होने संबंधी अधिकार, महिलाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार और रंग, जाति, राष्ट्रीयता या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करने का अधिकार शामिल है। यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग-3 में मूलभूत अधिकारों के नाम से बताए गए हैं। इसका उल्लंघन करने वालों को सजा का भी प्रावधान है।

कब से शुरू हुआ
10 दिसंबर ‘मानवाधिकार दिवस" के रूप में मनाया जाता है।  1948 को संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों के सार्वभौम (यूनिवर्सल) अधिकारों को अपनाया था।  इसमें मानव समुदाय के लिए राष्ट्रीयता, लिंग, रंग, धर्म, भाषा और किसी भी आधार पर बिना भेदभाव किए बुनियादी अधिकार सुनिश्चित किए गए। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मानव समाज पर ढाए गए जुल्म, सितम, असमानता, हिंसा, भेदभाव को देखते हुए अधिकारों की जरूरत को समझकर संयुक्त राष्ट्र ने यूनिवर्सल मानव अधिकार ड्राफ्ट किया, जो 10 दिसंबर को घोषित किया गया।


 

Created On :   10 Dec 2020 4:05 PM IST

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