पति को बनाया कोमा में पड़ी पत्नी का कानूनी संरक्षक 

Husband made legal guardian of coma wife
पति को बनाया कोमा में पड़ी पत्नी का कानूनी संरक्षक 
पति को बनाया कोमा में पड़ी पत्नी का कानूनी संरक्षक 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कोमा की अवस्था में पड़ी 65 वर्षीय पत्नी की संपत्ति का कानूनी संरक्षक उसके 73 वर्षीय पति को नियुक्त किया है। पति ने कोर्ट में याचिका दायर दावा किया था कि उनकी संतान नहीं है। पत्नी की संपत्ति की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। उसकी पत्नी के दो बैंकों में खाते है। काफी चल-अचल संपत्ति व निवेश है। चूंकि उसकी पत्नी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। जिसके चलते न तो वह चल फिर सकती है न ही  बोल सकती है और न ही चेक पर हस्ताक्षर कर सकती है। वह अपनी संपत्ति की देखरेख कर पाने में सक्षम नहीं है। इसलिए मुझे(पति) अपनी पत्नी की संपत्ति का  कानूनी संरक्षक नियुक्त किया जाए। 

याचिका के मुताबिक मेंटल हेल्थ केयर कानून 2017 में मानसिक रुप  से बीमार व्यक्ति का संरक्षक नियुक्त करने का प्रावधान नहीं है। जबकि  गार्जियन व वार्डन एक्ट में सिर्फ नाबालिग का कानूनी संरक्षक नियुक्त करने का अधिकार है। इसलिए कोर्ट याचिकाकर्ता  को  अपनी पत्नी का कानूनी संरक्षक नियुक्त करने के बारे में आदेश जारी करे। याचिका के साथ याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी की मानसिक सेहत ठीक न होने  को लेकर सायन अस्पताल की ओर से जारी की गई रिपोर्ट भी जोड़ी थी।  

न्यायमूर्ति उज्जल भूयान व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ  के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने  के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की पत्नी की स्थिति का जायजा लेने के लिए उपजिलाधिकारी को याचिकाकर्ता के घर जाकर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। उपजिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता की पत्नी की सेहत ठीक नहीं है वे अपनी देखरेख करने की स्थिति में नहीं है। इसके अलावा वह(पत्नी) न तो बिस्तर से उठने की स्थिति में  है।   न ही चेक में हस्ताक्षर करने की हालत में।  इस रिपोर्ट व कानूनी प्रवाधानों पर गौर करने  के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को न्यायहित में अपनी पत्नी का कानूनी संरक्षक नियुक्त कर दिया।कोर्ट ने अपने आदेश  में कहा है  कि सभी प्राधिकरण याचिकाकर्ता(पति) को अपने पत्नी की संपत्ति  का कानूनी संरक्षक के रुप में स्वीकार करे।  इसके साथ ही महाराष्ट्र विधि सेवा प्राधिकरण  के सचिव को एक अधिकारी नियुक्त कर संरक्षक के रुप में याचिकाकर्ता की गतिविधियों पर नजर  रखने का  निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि अधिकारी से याचिकाकर्ता के बारे में मासिक रिपोर्ट भी मंगाए।


 

Created On :   17 July 2021 6:33 PM IST

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